गौरव तिवारी : जनता में उम्मीद जगाते युवा आईपीएस अफसरों का प्रतिनिधि चेहरा

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पंकज शुक्ला 

एक दौर था जब अफसरों के तबादलों पर पूरे का पूरा शहर दु:ख जताता था या खुशियां मनाता। हाल के दिनों में लोगों को कम फर्क पड़ने लगा कि उनके शहर में कौन अफसर आया और कौन चला गया, लेकिन बीते दिनों वायरल हुए दो मैसेज में गुजरा वक्त ताजा हो गया। एक फोटो तमिलनाडु के शिक्षक का था जिसके तबादले पर विद्यार्थी फूट-फूट कर रोते दिखाई दे रहे थे। दूसरा मप्र के छिंदवाड़ा का वीडियो था जिसमें एसपी गौरव तिवारी को विदाई देने आए लोग रो पड़े और उनकी भाव भरी बातों से दबंग कहे जाने वाले अफसर की आंखें भी भीग गईं।
Gaurav Tiwari: The face of the public facing young IPS officers
अब गौरव तिवारी का तबादला आदेश संशोधित कर उन्हें रतलाम का एसपी बनाया गया है। वे अपने प्रशिक्षण काल में रतलाम में रह चुके हैं और उनके आने की खबर फैलते ही सोशल मीडिया पर खुशियों का इजहार करने का सिलसिला आरंभ हो गया। विश्वास के संकट के दौर में अफसरों पर विश्वास के ऐसे दृश्य आश्वस्त करते महसूस होते हैं।

2010 के आईपीएस गौरव तिवारी बालाघाट, कटनी, छिंदवाड़ा के एसपी रह चुके हैं। तीनों जिलों में वे अल्प समय में ही अपने कामों से चर्चा में आ गए। उनका कार्यकाल विवादों से भी घिरा तो तीनों जगह जनता में लोकप्रिय हुए। बालाघाट में उन्होंने बहुचर्चित इमारती लकड़ियों की अवैध कटाई कर तस्करी के मामले का खुलासा किया। इसमें वन विभाग के रेंजरों से लेकर राजस्व विभाग के अधिकारियों व तत्कालीन कलेक्टर का नाम भी उजागर हुआ। फर्जी टीपी (ट्रांजिट परमिट) का पदार्फाश भी उनके कार्यकाल में हुआ। बालाघाट में ही वाहनों का फर्जी पंजीयन कर खरीद फरोख्त का मामला उजागर किया।

बालाघाट से तबादला कर तिवारी को कटनी भेजा गया तो उन्होंने वहां भी सट्टा-जुआ के अड्डे बंद कराए और अवैध उत्खनन पर नियंत्रण किया। जिले में 500 करोड़ रुपए के हवाला कांड को पकड़ा और इसके कुछ समय बाद कथित राजनीतिक दबाव के चलते उनका तबादला हो गया। इसके बाद कटनी के व्यापारियों व आम नागरिकों ने नगर बंद रखकर विरोध दर्ज कराया। कैंडल मार्च भी निकाला।

छिंदवाड़ा में वे एक बार फिर चर्चा में आए जब उन पर बन रही फिल्म का पोस्टर जारी हुआ। हालांकि, खुद तिवारी की अनुमति न लेने के कारण फिल्म रोक दी गई। 30 जून को तिवारी का तबादला छिंदवाड़ा से देवास हुआ तो विदाई देने के लिए कई लोग जमा हुए। यहां एक स्थानीय गायक ने ‘नाम’ फिल्म का ह्यतू कल चला जाएगाह्ण गाना गाया तो पूरा माहौल गमगीन हो गया और लोगों के साथ भावुक हो तिवारी की आंखें भी छलछला आईं।

इस आदेश में संशोधन कर अब तिवारी को देवास की जगह रतलाम एसपी बना कर भेजा गया है। प्रशिक्षण काल में रतलाम में अपराधों पर नकेल कसने के कारण वे खासे चर्चित हैं और ज्यों ही उनके एसपी बनने की खबर आई सोशल मीडिया पर ‘सिंघम रिटर्न’, ‘टाइगर आया’ जैसे संबोधनों से स्वागत किया गया।

तिवारी बनारस के एक सामान्य परिवार से आते हैं और उनके कार्यों को लेकर नेट पर कई पोस्टर दिखाई देते हैं। मसलन, अपनी बेटी के जन्म के तुरंत बाद वे नक्सल विरोधी आॅपरेशन पर गए थे और बड़ी सफलता के बाद लौटे। उनका परिवार तथा मित्र उनकी सादगी, भावुकता तथा नेकी के किस्से सुनाते नहीं थकते। असल में, तिवारी युवा अफसरों की उस टोली के प्रतिनिधि हैं जो कार्य करने में यकीन रखते हैं। जो एक लक्ष्य लेकर प्रशासनिक सेवा में आए हैं तथा उसी के तहत कार्य कर रहे हैं। इसलिए जनता का प्याहर भी मिल रहा और अपराधी समूह के कोपभाजक भी बने हुए हैं।

गौरव तिवारी तो चर्चा में आ गए लेकिन कई अधिकारी हैं जो खामोशी से अपराध जगत और भ्रष्ट तंत्र से लड़ रहे हैं। उनके काम सुर्खियां भी नहीं बनते, न वे ह्यप्रताड़नाह्ण पर सार्वजनिक सहानुभूति पाते हैं। इसलिए आईपीएस तिवारी को जनता से मिला प्यार जहां उनकी ताकत है वहीं जवाबदेही भी कि वे अपने पथ पर अडिग रहें और स्वयं को मिली शक्तियों से खुद को ह्यसुपर पॉवरह्ण न समझने लगें। नई जिम्मेदारी उनकी प्रतीक्षा कर रही है और मप्र अपने युवा अधिकारियों की सफल गाथाओं का साक्षी बन रहा है।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार है