TIO NEW DELHI
भारत के भगोड़े स्वामी नित्यानंद के कथित देश कैलासा ने 30 अमेरिकी शहरों के साथ धोखाधड़ी की है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कैलासा ने इन शहरों के साथ सिस्टर सिटी एग्रीमेंट साइन किया था। इस कल्चरल एग्रीमेंट के तहत ये शहर और कैलासा एक दूसरे के विकास में मदद करते। इसमें धोखाधड़ी ये है कैलासा नाम का कोई देश दुनिया में है ही नहीं।
गुरुवार को अमेरिकी की फॉक्स न्यूज ने एक रिपोर्ट जारी करके बताया कि ओहायो के डेटन से लेकर वर्जीनिया के रिचमंड और फ्लोरिडा के बुएना पार्क तक कई शहरों का नाम इस लिस्ट में शामिल है। खुद कैलासा की वेबसाइट पर इन सभी शहरों के साथ हुए समझौते के बारे में लिखा है। बता दें कि नित्यानंद ने 2019 में दावा किया था उसने कैलासा नाम का देश बसाया है।
बीते दिनों नेवार्क ने रद्द किया था अपना एग्रीमेंट
कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी राज्य न्यूजर्सी के शहर नेवार्क ने कैलासा के साथ सिस्टर सिटी एग्रीमेंट खत्म किया था। नेवार्क और फर्जी देश ‘यूनाइटिड स्टेट्स ऑफ कैलासा’ के बीच 12 जनवरी को समझौता हुआ था। यह सेरेमनी नेवार्क के सिटी हॉल में हुई थी।
लेकिन जब नेवार्क को कैलासा की असलियत के बारे में पता चला तो उन्होंने तुरंत अपना समझौता रद्द कर दिया। नेवार्क की प्रेस सचिव सुजैन गैरोफलो ने एग्रीमेंट पर पछतावा जताया। उन्होंने कहा- जैसे ही हमें कैलासा की परिस्थितियों के बारे में पता चला हमने एग्रीमेंट खत्म कर दिया। ये एग्रीमेंट धोखे से किया गया था।
कई शहरों ने माना कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है
फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट में लिखा है कि फर्जी बाबा ने कई शहरों को ठगा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इन शहरों में से कई ने इस बात को स्वीकार किया है कि कैलासा ने उनके साथ धोखाधड़ी की है।
नॉर्थ कैरोलीना के शहर जैकसनविले ने फॉक्स न्यूज को बताया कि हमने कैलासा के साथ क्या डॉक्यूमेंट साइन किया है, वह घोषणा करने की बात नहीं है। कैलासा ने हमसे एक रिक्वेस्ट की थी, जिसका हमने जवाब दिया। ये रिक्वेस्ट क्या थी इसे हम वेरिफाई नहीं करते हैं। फॉक्स न्यूज का कहना है कि बिना कैलासा की सही जानकारी जुटाए उसके साथ समझौता करना शहरों की गलती है।
सरकार में बड़े पदों पर बैठे लोग भी हुए धोखे का शिकार
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सिर्फ मेयर और सिटी काउंसिल ही इस फरेब का शिकार नहीं हुआ, बल्कि वे लोग जो सरकार में बड़े पदों पर हैं, वे भी इस नकली देश के झांसे में आ गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कैलासा की वेबसाइट में यह भी लिखा है कि संसद के दो सदस्यों ने कैलासा को ‘खास संसदीय मान्यता’ दी है।
इनमें से एक कैलिफॉर्निया की कांग्रेसवुमन नॉर्मा टोरेस हैं, जो हाउस एप्रोप्रिएशंस कमेटी का भी हिस्सा हैं। वहीं, दूसरे संसद सदस्य हैं ओहायो से रिपब्लिकन पार्टी के ट्रॉय बाल्डेरसन, जिन्होंने नित्यानंद को संसदीय मान्यता दी।
2019 में देश छोड़कर भागा था नित्यानंद
नित्यानंद का जन्म तमिलनाडु के तिरुवन्नामलई शहर में हुआ था। उसे अरुणाचलम राजशेकरन नाम दिया गया। दावा किया जाता है कि 12 साल की उम्र से उसे आध्यात्मिक अनुभव होने लगे थे और 22 साल की उम्र में उसे ज्ञान की प्रप्ति हो गई। 2002 में 24 साल की उम्र में उसने नित्यानंद नाम से लोगों को प्रवचन देना शुरू किया। 2003 में उसने कर्नाटक में बेंगलुरु के पास बिदादी में ध्यानपीठम नाम से आश्रम शुरू किया।
2010 में नित्यानंद की एक शिष्या ने उस पर रेप का आरोप लगाया था। तहकीकात के बाद 2019 में गुजरात पुलिस ने कहा था कि नित्यानंद के आश्रम में बच्चों को किडनैप करके रखा जाता है। इसके बाद पुलिस ने छापा मारकर 2 लोगों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 2019 में नित्यानंद देश छोड़कर भाग गया था। दिसंबर 2019 में उसने कैलासा नाम से अपना अलग द्वीप बसाने और इसे अलग देश का दर्जा मिलने का दावा किया था। हालांकि, अब तक इस द्वीप या देश को किसी देश ने मान्यता नहीं दी है।