शिव की सख्ती…बरकरार रखने की दरकार

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राघवेंद्र सिंह

शिवराज सरकार की चौथी इनिंग विदा होते 2020 में दमदार और चमकदार होती दिख रही है। इस दफा बिगड़ैल और बेकाबू तंत्र की लगाम खींची जा रही है। मुश्कें कसी जा रही है। नारे-भाषण, जुमलों से आगे जा कर काम हो रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर कलाकार का तंज कसते थे अब शायद उन्हें राय बदलनी पड़ सकती है। हम कई बार मनसेलू और खुदगर्ज अफसरशाही से लिहाजी सम्बन्धों को समालोचना करते रहे हैं। मगर इस बार हालात बदलते दिख रहे हैं। मुलायम शिव भोले का बाना छोड़ कठोर हो रहे हैं। इस परिवर्तन के पीछे पावर्ती, उनके गण, भक्त, निंदक, जनता की परेशानी, दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों से प्रतिस्पर्धा जैसे बहुतेरे कारण हो सकते हैं। लेकिन “गवर्मेंट सर्वेंट को पब्लिक सर्वेंट” बनाने की दिशा में दिसंबर 2020 मील का पत्थर साबित हो रहा है। एक कलेक्टर और एसपी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद हटाना तेवर में बदलाव का संकेत दे गया। इसके लिए शिवराज सिंह चौहान को जनता की तरफ से बधाई।


गुड गवर्नेंस के नारे के साथ सरकार बनाने वाले मुख्यमंत्री चौहान की राह रपटीली और अपनों के ही कांटों-कंकणों से पटी हुई है। इससे पार पाना उनके नामुमकिन भले ही न हो पर मुश्किल जरूर होगा। सरकार और संगठन का विस्तार एक तरह उनके लिए चुनोतियों का भी विस्तार के देख जाएगा। भाजपा के भगवा रंग में धुलमिल रहे कल तक के सिंधिया के विधायकों को सत्ता-संगठन में समन्वय – सन्तुलन बनाए रखने का काम तलवार पर चलने जैसा भले ही न हो रस्सी पर चलने की तरह अवश्य होगा। लेकिन सब जानते हैं शिवराज सिंह अनुभवी और घुटे हुए नेता है। उनके अखाड़े में चाहे दोस्त हो या दुश्मन थका कर अपनी बात मनवाने का हुनर आता है। अबकी बार अखाड़े में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी टीम है। शिवराज की सहजता सरलता के सब कायल हैं। इसी के बूते सिंधिया महाराज को भी उन्होंने एक तरह से जीता हुआ है। मंत्रिमंडल विस्तार के साथ विष्णु दत्त शर्मा की टीम के भी की खबरें आ रही हैं।

लेकिन अदालतों की तारीख पर तारीख की तरह यह मामला भी खूब टल रहा है। 15 दिसंबर कैबिनेट विस्तार की तारीख बताई जा रही है। मंत्रिमंडल विस्तार का बायप्रोडक्ट संगठन का विस्तार होगा। मतलब कैबिनेट विस्तार नहीं तो समझ ही संगठन भी लेबर रूम से बाहर आना मुश्किल है। लेकिन इस लेटलतीफी से सत्ता संगठन में काम करने वाले कार्यकर्ताओं में बैचेनी असंतोष में बदल रही है। पद पाने की लालसा में लोग पूजा पाठ और अपने गॉडफादर के चक्कर लगाने में जुटे हैं। क्रिसमस पर्व में कौन सांता क्लॉस बनता है। तुलसी सिलावट- गोविंद राजपूत से लेकर हारे हुए तीन पूर्व मंत्री, विंध्य और महाकौशल के वरिष्ठ विधायकगणों की ताजपोशी के साथ निगम – मण्डलों में नियुक्ति भी लाख सहमतियों के बाद कठिन काम होगा। इस सबके बीच महत्वपूर्ण बात यह है कि ‘शिव’ का बदला हुआ रूप कितना तीखा और ताकतवर होता है या सियासी समझौते कमजोरी लाते हैं।


तबादलों को लेकर बेचेनी….
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की कार्यशैली काफी कुछ बदली हुई है। खासकर अपने वादों की पूर्ति और चमकदार प्रशासन के प्रति वे सजग नजर आते हैं।ढीले अफसरों के प्रति उनकी उदारता घट रही है। इससे सिफारिशी अधिकारियों और उनके वकील परेशान है। उन्हें उम्मीद है मुख्यमंत्री कठोरता के बाद थोड़ी नरमी भी लाएंगे। प्रशासनिक दक्षता के पीछे मुख्यमंत्री सचिवालय का भी अहम रोल है। सीएम के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी और हाल ही में आईएएस बने नीरज कुमार वशिष्ठ की भूमिका भी नजरअंदाज नही की जा सकती।


बढ़ गया है बड़ी झील पर खतरा…
भोपाल इंदौर ग्वालियर जबलपुर में भूमाफिया, ड्रग माफिया पर सख्त कार्रवाई सरकार की छवि को चमकाने में मददगार साबित हो रही है। भोपाल की बड़ी झील बचाने, मास्टर प्लान को लागू करने, झील के कैचमेंट इलाके में अवैध निर्माण रोकने का काम भी शव सरकार के लिए आग में डूबने जैसा काम होगा। बड़ी झील को बचाने के मामले में भोपाली वाशिंदे भी सक्रिय हैं। वॉइस ऑफ भोपाल के विकास बोन्द्रिया, कमल राठी, राशिद नूर के साथ सतीश नायक और पर्यावरण प्रेमी उमाशंकर तिवारी बड़ी झील को बचाने, पेड़ पौधे लगाने के साथ राजधानी की कोलार कलियासोत पहाड़ियों से पेड़ काटने से रोकने का अभियान चलाए हुए हैं। लेकिन सरकार में पकड़ रखने वाले माफियाओं पर नकेल कसने काम मुख्यमंत्री के लिए मुश्किल अवश्य होगा। अभी तो ये माफिया बेलगाम है। एनजीटी भी इसके समक्ष लाचार नजर आती है।