पटना
बिहार में एईएस (एक्टूड इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) से मरने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अब झारखंड सरकार ने भी राज्य के सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। अभी तक बिहार में इस बीमारी से 100 बच्चों की मौत हो गई है। बता दें बिहार में इस बीमारी को दिमागी ज्वर या फिर चमकी बुखार कहा जा रहा है।
झारखंड के स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर नितिन मदान कुलकर्णी ने रविवार को बताया कि झारखंड सरकार ने सभी 24 जिलों को हाई अलर्ट पर रखा है, प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले लोगों पर कड़ी निगरानी रखने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया है। राज्य में बचाव के सभी उपाय किए जा रहे हैं। सभी जिलों के सिविल सर्जन्स को बीमारी पर नजर रखने को कहा है।
उन्होंने कहा कि लैब टेस्ट बीमारी के सटीक कारण का पता लगाने के लिए हैं। बिहार में कुछ डॉक्टरों का मानना है कि ये बीमारी लीची के कारण हो रही है। कुलकर्णी जो कि फूड कमिश्नर भी हैं, उन्होंने झारखंड के बाजार में मुजफ्फरपुर की लीची पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि कहा जा रहा है कि लीची को बीमारी के कारण के तौर पर नहीं देखा जा सकता है, क्योंकि अभी तक कोई वैज्ञानिक सबूत सामने नहीं आए हैं।
वहीं रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस) रांची, के डॉक्टरों का कहना है कि अभी तक ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं आई है जिससे से पुष्टि हो सके कि एईएस लीची के कारण हो रही है।
रिम्स के प्रिवेंटिव सोशल मेडिसिन विभाग के हेड डॉक्टर विवेक कश्यप का कहना है, “बीते साल, लीची के मौसम में ऐसे मामले सामने आए थे लेकिन जांच रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई थी, कि लीची के कारण ही ये बीमारी हो रही है। अब लीची के मौसम में एक बार फिर ये बीमारी सामने आई है, ऐसे में इस ओर संदेह जाता है। फिलहाल, यह शोध का विषय है और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद इस तथ्य की जांच कर सकता है।”