भोपाल में 12.50 हजार, उज्जैन में 2 लाख, देवास में 47 हजार टन गेहूं भीगा; सरकारी तर्क- गेहूं थोड़ा भीगने के बाद सूख जाता है

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TIO भोपाल

मध्य प्रदेश के खरीद केंद्रों पर खुले में पड़ा लाखों टन गेहूं प्री-मानसून बारिश में गीला हो गया। भोपाल में वाटरप्रूफ टेंट की व्यवस्था न होने से साढ़े 12 हजार टन गेूहं भीग गया। जबकि उज्जैन में करीब दो लाख टन, देवास में 47 हजार टन, धार में 68 हजार टन, शाजापुर में 60 हजार टन, राजगढ़ में 15 हजार टन, विदिशा में 11 हजार टन, झाबुआ में चार हजार टन और रायसेन में दो हजार टन गेहूं भीगने की सूचना है।

जबकि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला का कहना है कि हमारे पास सभी जिलों से रिपोर्ट आ गई है, कहीं कोई नुकसान नहीं हुआ है। गेहूं के थोड़ा बहुत भीगने से नुकसान नहीं होता, वह सूख जाता है। परिवहन व भंडारण की व्यवस्था पहले ही कर ली थी। 26 जिलों में तो गेहूं का शत-प्रतिशत परिवहन हो गया है।

खरीद केंद्र के कर्मचारी बोले- तिरपाल ही नहीं भेजी
भोपाल में खरीद केंद्र के कर्मचारियों का कहना है कि उच्चाधिकारियों ने तिरपाल नहीं भिजवाई। पिछले दिनों कलेक्टर ने अफसरों को निर्देश दिए थे कि बारिश की संभावना को देखते हुए खुले में रखे गेहूं को अच्छे से ढंक दिया जाए। जहां गेहूं रखा है वहां से पानी की निकासी की व्यवस्था की जाए। लेकिन अफसरों ने इस पर भी ध्यान नहीं दिया।

18 केंद्रों पर अभी भी लंबी लाइनें
भोपाल जिले के 18 केन्द्र ऐसे हैं जहां किसान एक हफ्ते से आ रहे हैं। सबसे अधिक लंबी लाइनें शुक्ला ग्राम सैलो गुंगा परवलिया सड़क, चंडुखेडी,धमारा ,नजीराबाद, बबचिया, ललोई और बाक्सी में लगी हुई हैं। जिले में 63 गेहूं उपार्जन केन्द्र से 32 हजार 858 गेहूं के पंजीकृत किसान है, जिसमें से 28 हजार 700 किसानों से अभी तक 28 लाख क्विंटल गेहूं की खरीदी की गई है। 4000 से अधिक किसान अभी भी तुलाई के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे है।

इनका कहना है
अरस्तू प्रभाकर, एमडी, भोपाल जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के मुताबिक, गेहूं भीगने के लिए सहकारिता विभाग ही जिम्मेदार नहीं है। इससे जुड़े अन्य विभाग भी जिम्मेदार है, अगर भीग भी गया तो सुखाएंगे। कितना नुकसान हुआ, यह अभी बताना संभव नहीं है ।