सेक्सवर्धक दवाओं के लिए मार दी गई 20 हजार शार्क मछलियां, कीमत 30 से 40 करोड़

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मुंबई। खुफिया राजस्व निदेशालय (डीआरआई) ने मुंबई और गुजरात के समुद्री तटों से 8,000 किलोग्राम शार्क फिन जब्त की हैं। माना जा रहा है कि इसके लिए करीब 20 हजार शार्क मछलियों को मार दिया गया। इस मामले में 4 लोगों की गिरफ्तारी की गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में शार्क फिन की कीमत 35 से 40 करोड़ लगाई गई है। शार्क मछलियों के इस पिछले हिस्से को चीन और हॉन्ग कॉन्ग भेजा जाना था। कुछ देशों में सेक्सवर्धक दवाओं में भी इसका इस्तेमाल होता है।
20 thousand sharks bred for sexually transmitted drugs, price 30 to 40 million
एमबीए किंगपिन सहित चार गिरफ्तार
डीआरआई ने बताया कि गुजरात के सेवरी और वेरावल में ग्लोबल इम्पेक्स ट्रेडिंग कंपनी में छापेमारी करने के बाद यह बरामदगी की गई। फर्म के मालिक एमबीए ग्रेजुएट सराफत अली, उसके भाई हमीद सुल्तान, मैनेजर आर अहमद असिक और गोदाम के इंचार्ज आर शिवारामन को गिरफ्तार किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि अली इसका किंगपिन है। वह मछुआरों के सात शिकारियों को हायर करके समुद्र में भेजता था।

फरवरी में जाने वाली थी तीन खेप
अधिकारियों ने बताया कि आरोपी असरफ ने फिन के लिए वेरावली और सेवरी में 1,500 स्क्वॉयर फीट प्लांट बना रखा है। ये लोग वहां फिन को सुखाकर वहीं से निर्यात करते थे। एक खेप को लाकर तैयार करने में लगभग एक महीने का समय लगता था। गैंग ने दो टन की तीन खेप तैयार कर ली थी और वे इसे फरवरी में निर्यात करने वाले थे।

फिन काटकर छोड़ देते थे, मर जाती थीं
फिन को काटने के बाद शार्क मछलियों को समुद्र में छोड़ दिया जाता था। छोड़ते समय ये जिंदा रहती थीं। समुद्र में छोड़ते ही ये कुछ दूर बहाव में दूर चली जाती थीं लेकिन थोड़ी देर में इनकी मौत हो जाती थी। दरअसल, फिन कटने के बाद मछलियां तैर नहीं पाती हैं।
वास्तव में, शार्क के तैरने में उसका ऊपरी पिछला हिस्सा सहायक होता है। इसी हिस्से के हड्डीनुमा भाग को सुखाया जाता है। फिर इसे पीसकर इसका सूप बनाया जाता है। एशियाई देशों में इस सूप की लोकप्रियता ने शार्क मछली के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर दिया है।

विदेशों में है डिमांड
चीन-हॉन्ग कॉन्ग में इस शार्क फिन का सूप बनाते हैं जिससे काफी ताकत मिलती है। इस सूप की बहुत ज्यादा कीमत होती है। साथ ही इससे दवा भी बनाई जाती है। बता दें कि शार्क मछलियों का शिकार करना प्रतिबंधित है और गैरकानूनी तौर पर इन मछलियों का शिकार किया जाता है।