नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 कई नए रिकॉर्ड बनाने वाला है। इतिहास में पहली बार महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक होने की उम्मीद है। हालाांकि बेहतर तब होगा जब सभी महिलाएं मतदान कर पाएं। लेकिन मतदाता सूची से बड़ी संख्या में महिलाओं का नाम ही मौजूद नहीं है।
21 million women can not vote in 2019 Lok Sabha polls: Report
न्यूज वेबसाइट एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, “2011 के जनगणना आंकड़ों के अनुसार भारत में 2019 तक 18 साल से अधिक आयु वाली महिलाओं की संख्या 45.1 करोड़ होनी चाहिए। हालांकि मतदाता सूची में महिलाओं की संख्या 43 करोड़ ही है। यानी मतदाता सूची से 2.1 करोड़ महिलाओं का नाम गायब है।”
इसका मतलब ये है कि प्रत्येक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से करीब 30 हजार महिलाओं का नाम नहीं है। वहीं उत्तर प्रदेश जैसा बड़ा राज्य जहां के लोग ये तय करते हैं कि कौन सी पार्टी चुनाव जीतेगी और कौन सी नहीं, यहां भी प्रति निर्वाचन क्षेत्र की करीब 85 हजार महिलाओं का नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं है। औसतन यह कुल मतदान का 8 फीसदी है।
विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा सामाजिक और सांस्कृतिक रूढ़िवाद के चलते है। वहीं दक्षिण भारत, जहां साक्षरता और मानव विकास उत्तर भारत से काफी बेहतर है, यहां ये समस्या ज्यादा बड़ी नहीं है।
इससे पहले 2014 में जब देश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार थी, तब ये अंतर 2.5 करोड़ से भी अधिक का था। रिपोर्ट में ये आंकड़े ‘द वर्डिक्ट, पेंगुइन रेन्डम हाउस, इंडिया’ का हवाला देते हुए बताए गए हैं।