भोपाल। इंदौर के बहुचर्चित 42 करोड़ के आबकारी घोटाले की जांच में किसी भी अफसर को आरोपी नहीं बनाया है। एसआईटी ने सबूतों के अभाव में सभी आबकारी अफसरों को क्लीनचिट दे दी है। घोटाले से जुड़े जिन लोगों की गिर तारी के लिए इनाम घोषित किया था, उन्हें भी गिरफ्तार नहीं किया गया।
42 crores of excise scam, clean chit, SIT not found evidence
आबकारी घोटाला उजागर होने पर पुलिस का कहना था कि सबूत इकट्टा करने के बाद आबकारी विभाग के अफसर भी आरोपी बनेंगे, लेकिन एक साल बाद भी ऐसा हो नहीं पाया है। पुलिस अब किसी के खिलाफ सबूत नहीं मिलने की बात कह रही है। आबकारी विभाग ने 42 करोड़ के घोटाले में वसूली की प्रक्रिया अपनाई।
करीब 22 करोड़ रुपए वसूले गए, लेकिन 20 करोड़ की वसूली तक नहीं हो पाई है। आबकारी घोटाले को लेकर एसआईटी प्रभारी एएसपी वाहनी सिंह का कहना है, जांच में कोई नई बात सामने नहीं आई। आबकारी विभाग के अफसरों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले जिसके कारण किसी को आरोपी नहीं बनाया है।
यह है मामला
पिछले साल 11-12 अगस्त 2017 को रावजीबाजार पुलिस ने आबकारी विभाग में हुए 42 करोड़ के घोटाले को लेकर 14 ठेकेदारों सहित 14 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज किया था। आबकारी विभाग में इसके पहले तीन साल से फर्जी चालान जमा किए जा रहे थे। आबकारी विभाग के अफसरों को हर 15 दिन में चालान को क्रास चेक करना (तौजी मिलान) करना होता था, लेकिन उन्होंने तीन साल तक ऐसा नहीं किया जिसके कारण उनकी लीप्तता साफ नजर आ रही थी। दावे भी आबकारी विभाग के अफसरों को आरोपी बनाने के थे लेकिन किसी का नाम शामिल नहीं किया जा सका।
4 इनामी अभी भी फरार
पुलिस घोटाले में अब तक 22 आरोपियों को गिर तार कर चुकी है जबकि 4 आरोपी विजय श्रीवास्तव, अभिषेक शर्मा, जितेंद्र शिवरामे, राहुल चौकसे अभी फरार है। सभी पर 20-20 हजार का इनाम हैं, लेकिन पकड़ से दूर हैं। एक आरोपी दीपक जायसवाल की सुप्रीम कोर्ट में केस से नाम हटाने के लिए एसएलपी पहुंची थी, लेकिन खारिज हो गई।