आफताब जहां का 43 साल पुराना पत्र, भोपाल में 15 हजार करोड़ों की शत्रु संपत्ति का मामला

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प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और सीजेआई कार्यालय को मिली चिट्ठी
रियाज मंजिल कोठी को कब्जे से मुक्त कराने की मांग
नामांतरण, नजूल एनओसी, बिल्डिंग परमीशन की जांच व जारी करने वालों पर कार्रवाई की मांग

TIO, Bhopal

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 15 हजार करोड़ से अधिक की शत्रु संपत्ति होने का खत प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री समेत चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को प्राप्त हो चुका है। अब कोहेफिजा के खानू गांव में रियाज मंजिल कोठी को शत्रु संपत्ति होने के आधार पर कब्जे से मुक्त कराने और फर्जी व संदेहास्पद हिबानामे के आधार पर हुए नामांतरण, बिल्डिंग परमीशन के निरस्‍तीकरण की मांग का भी एक पत्र जारी हुआ है। यह संपत्ति भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खान की जूनियर बेगम आफताब जहां की है।

पीएमओ को 19 तो एचएमओ व सीजेआई को 18 को मिले खत
भोपाल में 15000 करोड़ से अधिक की कीमत की शत्रु संपत्ति अवैध कब्जे में है। साल 1977 से इसे रिकॉर्ड में शत्रु संपत्ति सेंट्रल गवर्नमेंट के नाम पर होनी चाहिए लेकिन भोपाल के नवाब की जूनियर बेगम आफताब जहां के नाम पर दर्ज है। जबकि नवाब हमीदुल्ला खान के इंतकाल के बाद उनकी बेगम दुश्मन देश पाकिस्तान में कराची शहर जाकर बस गई थी। पाकिस्तान की सिटीजनशिप लेने के बाद बेगम ने भारतीय नागरिकता को त्याग दिया था और भारत में अपने नाम की सारी जायदाद को शत्रु प्रॉपर्टी के तौर परअपने हक में लेने के लिए कथित तौर पर एक पत्र पाकिस्तान से ही भारत सरकार को दिनांक 2 मई 1977 को भेजा था। इस कथित पत्र जिस पर शत्रु संपत्ति कार्यालय मुंबई की मुद्रा भी अंकित है की छाया प्रति को सुलतानिया रोड भोपाल के रहवासी मधु दास बैरागी ने 14 सितंबर को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, सुप्रीम कोर्ट, चीफ जस्टिस ऑफ एमपी हाई कोर्ट, चीफ सेक्रेटरी एमपी, भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और जिला कलेक्टर को ज्ञापन के साथ संलग्न करके प्रेषित किया था। यह पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय में 19 सितंबर और गृह मंत्री व सीबीआई को 18 सितंबर को प्राप्त हो चुके हैं। श्री बैरागी के अनुसार आफताब जहां के पत्र पर उचित कार्रवाई व जांच के संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश पीएमओ व गृह मंत्रालय से कस्टोडियन अधिकारी शत्रु संपत्ति कार्यालय मुंबई को जारी किए जा रहे हैं ऐसी जानकारी प्राप्त हुई है।

रियाज मंजिल कोठी को कब्जा मुक्त कराने पत्र जारी
मधुदास बैरागी ने कोहेफिजा के खानूगांव में स्थित रियाज मंजिल कोठी को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए 19 सितंबर शनिवार को एक और पत्र जारी किया है। क्योंकि आफताब जहां के पत्र में उपरोक्त संपत्ति सेंट्रल गवर्नमेंट के अधीन शत्रु संपत्ति के तौर पर अधिगृहित करने की सहमति व स्वीकृति है। बैरागी ने पूर्व की तरह अपना यह पत्र प्रधानमंत्री से लेकर जिला कलेक्टर को आवश्यक रिकॉर्ड संलग्न करके भेजा है। दरअसल रियाज मंजिल कोठी का हवाला आफताब जहां के कथित पत्र दिनांक 2 मई 1977 में है। जिसमें बताया गया है कि यह कोठी उन्हें नवाब हमीदुल्लाह खान से मिली थी। क्योंकि वे रियाज मंजिल समेत अपनी समस्त प्रॉपर्टी को बिना किसी को दिए भारत छोड़ चुकी थी। इसलिए उन पर उनका कोई हक या अधिकार नहीं रहा। अगर कोई इन संपत्तियों को उनसे (आफ़ताब जहां से) हिबा, इनायतनामें, पावर ऑफ अटॉर्नी या अन्य किसी रूप में अंतरण पर मिलना बताए तो उसे फर्जी और अवैध माना जाए। बैरागी का कहना है कि वर्तमान में इस कोठी पर अवैध तौर पर कब्जा है और उससे लगी हुई भूमि भी अवैध तौर पर खरीद-फरोख्त की जा रही है, जिसे मुक्त कराना अत्यंत आवश्यक है। ताकि करोडों की केन्‍द्र सरकार की प्रापर्टी को बचाया जा सके। इससे भूमाफिया और नवाब परिवार समेत शासकीय स्‍तर की मिलीभगत भी उजागर हो सकेगी।

नामांतरण, नजूल एनओसी, बिल्डिंग परमिशन निरस्त करने की मांग
मधुदास बैरागी ने शनिवार को जारी किए अपने पत्र में रियाज मंजिल और उससे लगी भूमि के नामांतरण, नजूल एनओसी और बिल्डिंग परमीशन जारी होने के बारे में रिकॉर्ड समेत कुछ चौंकाने वाली जानकारियां उल्लेखित की है। पत्र के अनुसार जिला कलेक्‍टर भोपाल के अधीनस्‍थ श्री गुलाब सिंह बघेल, तहसीलदार, नजूल संत हिरदाराम नगर,(बैरागढ) वृत्‍त,भोपाल ने नामांतरण का एक प्रकरण दिनांक 1 फरवरी 2020 को भोपाल के तत्‍कालीन नवाब हमीदुल्‍ला खान की जूनियर बेगम आफताब जहां के संदेहास्‍पद हिबानामा के कारण निरस्‍त किया है। नामांतरण का आवेदन अकबर पुत्र श्री मोहम्‍मद हसन निवासी रियाज मंजिल कोठी,खानूगांव भोपाल ने पेश किया था। लेकिन आश्‍चर्यजनक पहलू यह है कि इसी जमीन के एक अंश भाग पर अकबर के भाई आजम के पक्ष में उसी संदेहास्‍पद हिबानामे के आधार पर नामांतरण को तात्‍कालीन तहसीलदार ने आदेश दिनांक 12-12-2006 द्वारा स्‍वीकार किया है। जमीन खानू्गांव रियाज मंजिल की खसरा क्रमांक 42 की है।

इस नामांतरण के आधार पर 6 अगस्‍त 2018 को तात्‍कालीन तहसीलदार अजय प्रताप सिंह पटेल ने जमीन का अक्‍स बटान स्‍वीकृत किया। दिनांक 5 अक्‍टूबर 2018 को भूमि के संबंध में नजूल एनओसी जाारी कर दी गई। तात्‍कालीन नजूल अधिकारी ने दिनांक 29-6-2019 को आवासीय प्रयोजनार्थ डायवर्शन किया। इन सब दस्‍तावेजों की मदद से नगर निगम भोपाल ने बहुमंजिला इमारत बनाने की अुनमति दिनांक 12 जुलाई 2019 को जारी की है। वर्तमान में मौके पर नियम विरूद्व बहुमंजिला बिल्‍डिंग का कंस्‍ट्रक्‍शन हो रहा है। इसमें मास्‍टर प्‍लान 2005 का उल्‍लंघन भी किया गया है। क्‍योंकि कंस्‍ट्रक्‍शन तालाब के केचमेंट एरिया के पास हो रहा है जो नियम विरूद्व है। उपरोक्त आधार पर नामांतरण, नजूल एनओसी, बिल्डिंग परमीशन को निरस्त करते हुए उन्हें जारी करने वाले अफसरों के विरुद्ध कार्यवाही करने की मांग की गई है।

संत हिरदाराम नगर बैरागढ़ का दो तिहाई हिस्सा शत्रु संपत्ति के खतरे में
भोपाल में आफताब जहां बेगम के नाम से सबसे अधिक जमीने लाऊखेड़ी, बोरवन, बेहटा, हलालपुर आदि क्षेत्र में है। राजस्व रिकॉर्ड में आज भी ये भूमिया बेगम आफताब के नाम पर दर्ज हैं। क्योंकि उनका इंतकाल वर्ष 2000 में होने और नवाब साहब से उनकी कोई संतान नहीं होने के कारण कोई भी उत्तराधिकारी रिकॉर्ड पर आज तक नहीं आ सका है। केंद्र सरकार व शत्रु संपत्ति कार्यालय आफताब जहां के पत्र दिनांक 2 मई 1977 के संबंध में यदि कोई कार्यवाही करती है तो दो तिहाई क्षेत्र में बसा संत हिरदाराम नगर बैरागढ़, लाऊखेड़ी,और लालघाटी व हलालपुरा का क्षेत्र प्रभावित होगा।

आफताब के हिबा, इनायतनामो,पावर ऑफ अटॉर्नी की जांच पर आपत्ति नहीं
इधर घर बचाओ संघर्ष समिति के उप संयोजक एवं अधिवक्ता जगदीश छावानी का कहना है कि आफताब जहां के नाम से जारी हुए कथित हिबा और इनायतनामों तथा पावर ऑफ अटार्नी की शासन स्तर से किसी भी तरह की जांच की जाती है तो यह उनका क्षेत्राधिकार है और इस बारे में केंद्र या राज्य सरकार अपने स्तर पर कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र है। जब तक लोगों को उपरोक्त संबंध में किसी तरह का कोई नोटिस या सूचना पत्र जारी नहीं होता तब तक उन्हें इस संबंध में किसी तरह की कोई आपत्ति करने का अधिकार नहीं है। क्योंकि अपने तथ्यों और रिकॉर्ड को सिद्ध करने का भार कानूनन दावा करने वाले व्यक्ति पर ही रहता है। समिति के उप संयोजक का कहना है कि केंद्र सरकारके होम डिपार्टमेंट और शत्रु संपत्ति कार्यालय मुंबई इस मामले में कुछ जांच कर रहे है। इसकी कोई भी अधिकारिक जानकारी विस्तृत तौर पर शत्रु संपत्ति कार्यालय से ही जारी की जा सकती है अथवा जिले के कलेक्टर जो कि शत्रु संपत्ति के लिए केंद्र सरकार की ओर से कस्टोडियन अधिकारी होता है।