TIO भोपाल
मध्य प्रदेश की करीब 7.50 करोड़ आबादी कोरोना संक्रमण से बचने के लिए घरों में कैद है। स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, करीब 40 दिन में 31078 लोगों के सैंपल लिए गए हैं। यानी कुल आबादी का महज 0.41 प्रतिशत। 8414 सैंपल की रिपोर्ट आना बाकी है। 21077 सैंपल की रिपोर्ट या तो निगेटिव आई है या रिजेक्ट कर दिए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक 808117 लोगों की विभिन्न प्रकार से मदद की है। प्रदेश में बुधवार तक 1587 कोरोना संक्रमित मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। पूरे प्रदेश के इन मरीजों के निवास स्थान के आसपास के 456 कंटेनमेंट एरिया बनाए गए हैं।
कोरोना को लेकर प्रदेश की हालत चिंताजनक होने के आसार लगने लगे हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ सकता है। दो दिन बाद लॉकडाउन को एक महीना होने जा रहा है। इसके फेज-2 का भी आज नौवा दिन है। लेकिन, प्रदेश की करीब 7.50 करोड़ आबादी में से सिर्फ 31 हजार 78 लोगों के सैंपल लिए गए। इनमें भी 80 फीसदी सैंपल भोपाल और इंदौर शहर के बताए जा रहे हैं। सैंपल जांच के लिए प्रदेश में जो 14 पैथालॉजी काम कर रही हैं, इसमें 12 सरकारी और 2 निजी हैं। उनमें जांच करने वाले रसायन की कमी भी पैंडिंग सैंपल की वजह बताई गई। इस समय प्रदेश में 1050 सैंपल की जांच इन पैथालाजी में हो रही है। 23 मार्च तक सिर्फ 60 सैंपल की जांच हो रही थी। मुख्यमंत्री संकेत दे चुके है कि मई तक प्रदेश में प्रतिदिन 5000 सैंपल की जांच होने लगेंगी। गुरुवार के तड़के करीब 5:30 बजे दो युवक एक घायल बुजुर्ग को हाथ ठेला में लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। अहमदपुर क्षेत्र निवासी युवक दीपक पंथी और पीतल मिल निवासी दीपक प्रजापति ने बताया कि वह सब्जी खरीदने सब्जी मंडी जा रहे थे, इसी दौरान उन्हें करीब 60 वर्षीय अहमदपुर क्षेत्र निवासी बुजुर्ग नानू लाल गौड़ घायल अवस्था में कराहते हुए मिले। वे भी सब्जी का ठेला लगाते है इसलिए दोनों युवकों की उससे पहचान थी। बुजुर्ग को घायल अवस्था में देखकर दोनों युवकों ने उसे उठाया और अपने हाथ ठेले में लिटाकर जिला अस्पताल में उपचार कराने निकल पड़े।
ग्रामीण क्षेत्रों में तो पहुंची ही नहीं स्वास्थ्य टीम
प्रदेश के करीब 24 जिले ग्रीन जोन में हैं। यहां एक भी संक्रमित मरीज नहीं पाया गया है। सूत्रों के अनुसार, वास्तविकता में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते लोगों की जांच ही नहीं हो रही है। और संक्रमण फैलने की खबरें जिस तरह से आ रही हैं, उससे ग्रामीण इलाकों में लोग जांच कराने से भी बच रहे हैं। प्रदेश के तमाम जिलों में ओपीडी तक बंद कर दी गई है। संक्रमण के डर से निजी अस्पतालों में जनरल ओपीडी बंद है। मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि यदि कोई निजी चिकित्सालय न खुले, तो उसका लाइसेंस निरस्त करें। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बेंस ने बताया कि मुख्यमंत्री ने कोरोना की समीक्षा के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कलेक्टरों से कहा है कि वे एक टीम बनाकर निजी अस्पतालों की जांच कराएं। जिन व्यक्तियों के कोरोना टेस्ट के सैंपल लिए गए हैं, वे कहीं न जाएं, वरना कार्रवाई होगी।
चार जिलों में लॉकडाउन बढ़ाया जा सकता है
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि आधा मप्र कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुका है। कुछ जिले ऐसे हैं, जहां एक-दो केस आ रहे हैं। इन जिलों को भी कंट्रोल कर लिया है, लेकिन भोपाल, इंदौर, उज्जैन और खरगोन की स्थिति देखकर नहीं लगता कि 3 मई को यहां से लॉकडाउन हटा पाएंगे।