नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के भारतीय शिक्षण मंडल (बीएसएम)से जुड़ी संस्था रिसर्च आॅफ रिसर्जेंस फाउंउेशन (आरएफआरएफ) सर्च इंजन बनाने जा रही है, जो अपनी भाषा में ईमेल डोमेन लॉन्च किया है। यह कदम भारत पर केंद्रित कई तकनीकी उत्पादों की श्रृंखला का पहला हिस्सा है, इसके तहत एक भारतीय सर्च इंजन भी चलाया जाएगा।
The search engine, which will be formed in association with the Union, will be the headquarters of the Indian Internet in Nagpur.
सभी ईमेल आरएफआरएफ के नागपुर स्थित डेटा सेंटर में स्टोर होंगे। आरएफआरएफ के ट्रस्टी और बीएसएम राष्ट्रीय संगठन सचिव मुकुल कांतिकर ने कहा कि हम एक पूर्ण भारतीय इंटरनेट के बारे में सोच रहे हैं। न सिर्फ ईमेल आईडी, बल्कि सर्च इंजन, फिर भारतीय डोमेन नेम, वेबसाइट्स, कंटेंट और सब कुछ होगा। इसी योजना पर हम काम कर रहे हैं।
यह बड़े पैमाने का मुद्दा है क्योंकि हम बाहर के हार्डवेयर इस्?तेमाल कर रहे हैं। स्वदेशीकरण में बहुत समय लगेगा। उसके बाद ही यह (भारतीय इंटरनेट) पूरी तरह सुरक्षित हो पाएगा। अगर आप एक सिस्को राउटर और चीनी कनेक्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आप निश्चिंत नहीं हो सकते कि आपका डेटा सुरक्षित है।
उन्होंने कहा कि आरएफआरएफ स्टार्ट-अप्स के साथ मिलकर भारतीय में वायर्स और चिप्स बनाने पर काम कर रही है। इसके बाद वह भारत में राउटर और कनेक्टर बनाने पर जोर देगी। ईमेल सेवा की शुरूआत शनिवार (29 सितंबर) को दिल्ली के विज्ञान भवन में की गई। इस प्लेटफॉर्म के पहले उपयोगकर्ता केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर बने।
विकीपीडिया पर पहले पश्चिमी चीजें मिलती है फिर हमारी
विकीपीडिया पर सर्च करने पर पहले पश्चिमी चीजें मिलेंगी, फिर हमारा अपना कंटेंट। अगर छत्तीसगढ़ के किसी ट्राइब (जनजाति) की जानकारी चाहते हैं तो पहले पश्चिमी संदर्भ आएंगे। इसमें गलत कुछ नहीं है लेकिन अगर वह ऐसा गोंडी (भाषा) में कर सकें तो उन्हें अपने संदर्भ मिल सकेंगे।
दो साल लगेंगे सर्च इंजन बनने में
सर्च इंजन बनने में अभी एक या दो साल का वक्त लग सकता है। शुरूआत में ईमेल्स जयपुर के एक्सजेन कंपनी के सर्वर्स पर सेव होंगे, इसके बाद उन्हें आरएफआरएफ के नागपुर सर्वर्स पर ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इस सेवा में हर ईमेल अकाउंट को एक जीबी स्टोरेज मिलेगी। कांतिकर ने कहा कि इन कदमों से वह मनोवैज्ञानिक बैरियर टूटेगा जिससे बहुत से भारतीयों को लगता है कि इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए अंग्रेजी का ज्ञान जरूरी है।