नई दिल्ली। यूपी, हरियाणा में पेट्रोल-डीजल पर वैट दरों में कटौती और दिल्ली के मुकाबले कीमतें करीब 2.50 रुपये प्रति लीटर तक कम होने से राजधानी में इनकी बिक्री घटने लगी है। पेट्रोलियम डीलर्स का दावा है कि कीमतों में मौजूदा अंतर से पेट्रोल-डीजल की सेल्स एनसीआर में शिफ्ट हो रही है और स्मगलिंग की आशंका भी बढ़ गई है। अगर दिल्ली में वैट कटौती नहीं हुई तो यहां पेट्रोल की बिक्री में 25% और डीजल की बिक्री में 40% तक कमी आ सकती है। इससे वैट रेवेन्यू को भी झटका लगेगा।
Petrol in Delhi, increased sales in NCR, fear of smuggling even after rates cut
एनसीआर में इतना सस्ता है डीजल-पेट्रोल
दिल्ली पेट्रोल डीलर्स असोसिएशन के मुताबिक, सितंबर 2018 में दिल्ली में 10.62 करोड़ लीटर पेट्रोल और 9.38 करोड़ लीटर डीजल की बिक्री हुई। फिलहाल सरकार पेट्रोल पर 17.80 रुपये और डीजल पर 11.02 रुपये प्रति लीटर वैट वसूल रही है। पड़ोसी राज्यों की वैट कटौती से जहां नोएडा और गाजियाबाद के मुकाबले दिल्ली में पेट्रोल 2.48 रुपये और डीजल 1.90 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है, वहीं गुड़गांव और फरीदाबाद के मुकाबले दिल्ली में पेट्रोल 1.31 रुपये और डीजल 1.10 रुपये महंगा हुआ है। इससे सेल्स में रोजाना गिरावट दर्ज हो रही है।
‘25% तक गिर सकती है बिक्री’
मौजूदा दरों पर पेट्रोल और डीजल की मासिक बिक्री घटकर क्रमश: 8 करोड़ और 4.8 करोड़ लीटर तक आ सकती है। असोसिएशन के प्रेजिडेंट निश्चल सिंघानिया ने कहा कि 2009-10 में भी इस तरह की विसंगति के चलते सेल्स 25% तक गिर गई थी जबकि 2015 में दिल्ली में दरें कम होने के चलते सेल्स 25% तक ज्यादा हो गई थीं।
‘वैट घटाने में सरकार को फायदा’
असोसिएशन के पूर्व प्रेजिडेंट निशीथ गोयल ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार वैट दरें घटाकर पड़ोसी राज्यों के बराबर करती है तो उसे हर माह करीब 50 करोड़ और सलाना 600 करोड़ रुपये का नुकसान होगा, जबकि वैट नहीं घटाने पर सेल्स में गिरावट के चलते उसका घाटा 1,000 करोड़ को पार कर सकता है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार वैट में 4 रुपये प्रति लीटर तक कटौती कर दे तो दिल्ली में पेट्रोल की मासिक बिक्री 13.60 करोड़ लीटर तक पहुंच सकती है और ऐसे में वैट कलेक्शन भी बढ़ेगा।
हालांकि सेल्स में गिरावट और राजस्व नुकसान को लेकर अधिकारियों के अनुमान अलग हैं और वे अपने आकलन में अवैध बिक्री जैसे फैक्टर्स को शामिल नहीं करते। दिल्ली सरकार का अनुमान है कि स्थिर बिक्री पर वैट दरों में यूपी-हरियाणा के बराबर कटौती से उसे करीब 525 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।