नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के एक स्टाफ को सोमवार को नागपुर में एयरोस्पेस सेंटर से गिरफ्तार किया गया है। इंजिनियर पर सुपरसोनिक मिसाइल सिस्टम के गोपनीय जानकारियों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को लीक करने का शक है। यह मामला कितना गंभीर है यह आप ब्रह्मोस की अहमियत से जान सकते हैं।
Detective scandal: Know what is the significance of Brahmos for India
ब्रह्मोस को भारत ने रूस के साथ मिलकर तैयार किया है। इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। यह रडार को चकमा दे सकने वाला एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। ब्रह्मोस एजिस कॉम्बैट सिस्टम को भी मात देने में सक्षम है, जिसा अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों के जंगी जहाज करते हैं। चीन भी इसी तरह के एक सिस्टम 052डी का इस्तेमाल करता है। ब्रह्मोस की खूबियों की वजह से इसे भारत का ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है।
अमेरिका को भी छोड़ दिया था पीछे
इस तरह, ब्रह्मोस दुश्मन के जहाजों से हिंद महासागर की रक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसका भारत के लिए सांकेतिक और रणनीतिक महत्व भी है। जब इसे लॉन्च किया गया था तब यह सबसे अच्छा ऐंटी शिप क्रूज मिसाइज था, अमेरिका के एजीएम-84 हारपून से भी बेहतर माना जाता था। अमेरिका ने इसके बाद एजीएम-158सी का निर्माण किया।
हिंद महासागर में अहम
ब्रह्मोस को जमीन, हवा या पानी कहीं से भी छोड़ा जा सकता है, इसलिए यह भारत को पाकिस्तान और चीन के जहाजों पर बढ़त दिलाता है, जो कि हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहे हैं। यह मिसाइल अंडरग्राउंड परमाणु बंकरों, कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर्स और समुद्र के ऊपर उड़ रहे एयरक्राफ्ट्स को दूर से ही निशाना बनाने में सक्षम है।
और तेज होगा ब्रह्मोस
चीन ने अपना ऐंटी शिप मैक 3 सुपरसोनिक मिसाइल उट-302 डिवेलप कर लिया है। चीन कहता है कि यह सबसे बेहतर है। माना जाता है कि पाकिस्तान की इसमें दिलचस्पी है। भारत इसके जवाब में ‘ब्रह्मोस-कक’ डिवेलप कर रहा है, जिसे जिरकॉन कहा जाता है। यह मैक 7 की स्पीड हासिल कर सकता है, यानी आवाज की गति से 7 गुणा तेज।
सुखोई के साथ ‘डेडली कॉम्बिनेशन’
आवाज की गति से करीब तीन गुना अधिक यानी 2.8 मैक की गति से हमला करने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल का पहली बार सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट से परीक्षण किया जा चुका है। फाइटर जेट से मार करने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल के इस परीक्षण को ‘डेडली कॉम्बिनेशन’ कहा जा रहा है।
2001 में पहला परीक्षण
12 फरवरी 1998 को भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल टेक्नॉलजिस्ट डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम और रूस के प्रथम डेप्युटी डिफेंस मिनिस्टर एन.वी. मिखाइलॉव ने एक इंटर-गवर्मेन्टल अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया था। ब्रह्मोस का पहला सफल परीक्षण 12 जून, 2001 को हुआ था। इस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है और ये 300 किलोग्राम भारी युद्धक सामग्री ले जा सकती है।
जासूसी की बढ़ती घटनाएं
भारत ने जासूसी की वजह से अपने अधिकारियों को पहले भी गिरफ्तार किया है। 2015 में 2 (1 सेना और 1 एयरफोर्स) को गिरफ्तार किया था। 2017 में 2 सैन्यकर्मियों को पकड़ा गया था। 2018 में एयर फोर्स के एक अधिकारी को जासूसी करते दबोचा जा चुका है। इस बीच उकरऋ ने अपने अधिकारियों को कहा है कि एयरपोर्ट पर दूसरे यात्रियों के साथ अधिक मित्रता ना करें।