धरा रह गया विकास, जातियों के भरोसे भाजपा, चुनाव में हर जाति के नेता को उतारने की तैयारी

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भोपाल। विधानसभा चुनाव में महज डेढ़ महीने का समय शेष है,लेकिन इस बार चुनाव में मुद्दे गायब हैं। 15 साल से सरकार चला रही भाजपा इस बार विकास कार्यों के बल पर मतदाताओं को लुभाने में सफल नहीं हो पा रही है, न ही विपक्ष सरकार के खिलाफ किसी मुद्दे को मतदाताओं के बीच भुना पा रही है। ऐसे में अब भाजपा जातिवाद के दम में मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में जुटी है। इसके लिए भाजपा ने हर जाति के नेताओं को खुद के समाज के बीच भेजने की तैयारी कर ली है। इसके लिए नेताओं को बाकायदा जि मेदारी सौंपी जा रही है।
Behind the development, the BJP on the basis of caste, preparing to bring down every caste leader in the elections
आमतौर पर राजनीतिक दल चुनाव में जातिवाद नहीं करने का दावा करते हैं। लेकिन इस बार दल जातियों के भरोसे हैं, खासकर सत्तारूढ़ भाजपा को 15 साल के विकास कार्यों के बलबूते सत्ता में वापसी का भरोसा नहीं है। यही वजह है कि भाजपा ने सभी नेताओं को अपनी-अपनी जातियों के बीच जाने का फरमान सुना दिया है। जिसकी वजह यह है कि पिछले एक साल के भीतर प्रदेश में जिस तरह से आरक्षण की लपटें उठी हैं। उससे राजनीतिक दलों को चुनाव में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

ऐसे में राजनीतिक दल सत्ता के सिंहासन पर पहुंचने के लिए फिर से जातिवाद के रास्ते पर हैं। हर जाति को साधने के लिए भाजपा ने पूरी रणनीति तैयार कर ली है, जिसमें आरक्षित और अनारक्षित वर्ग शामिल हैं। भाजपा का सबसे ज्यादा विरोध अनारक्षित जातियां ही कर रही हैं, ऐसे में पार्टी ने अनारक्षित जातियों से आने वाले नेताओं को अपनी-अपनी जातियों को मनाकर नाराजगी दूर करने की जि मेदारी भी सौंपी है। इसके लिए समाज के नताओं को मनाकर मु यमंत्री समेत पार्टी के अन्य नेताओं से मुलाकात कराई जा रही है।

दावे और वादों को निकली हवा
इस बार चुनाव में भाजपा की ओर से न कोई दावे किए जा रहे हैं और न ही विकास कार्यों को गिनाया जा रहा है। मु यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को छोड़कर भाजपा का कोई भी नेता विकास कार्यों को नहीं गिना रहा है। इसी तरह कांग्रेस भी किसी भी मुद्दे पर सरकार को नहीं घेर पा रही है। ऐसे में चुनाव धर्म, राम, गाय के बीच उलझता रहा है। ये ऐसे मुद्दे हैं, जो हर चुनाव के दौरान सामने आते हैं। चुनाव होते ही ये मुद्दे गायब हो जाते हैं। ऐसे में चाहे बिहार, गुजरात, पश्चिम बंगाल, उप्र, कर्नाटक विधानसभा का चुनाव हो या अन्य राज्यों के चुनाव। दल ऐसे ही मुद्दों में उलझाए रहते हैं। मप्र में भी चुनाव गौशाला, राम पथ,मंदिरों में उलझ गया है।