नई दिल्ली । बैंक फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसी संदेसरा ग्रुप की कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक की जांच के दायरे में यूपीए शासन के कई अधिकारी भी आ सकते हैं। जांच एजेंसियां इस बात की पड़ताल कर रही हैं कि क्या सरकारी अधिकारियों और बैंकर्स ने वडोदरा की इस कंपनी को फ्रॉड को अंजाम देने में मदद की?
Babasaheb’s bank fraud: may be under the scanner of UPA government, investigations are going on
इस मामले के जानकार लोगों ने ईटी को बताया, रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया द्वारा 2012 में ही ‘विलफुल डिफॉल्टर’ घोषित किए जाने के बावजूद संदेसरा ग्रुप ने विदेशों से 80 मिलियन डॉलर (करीब 589 करोड़ रुपये) जुटाए। मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, ‘विलफुल डिफॉल्टर घोषित होने के बावजूद इतनी बड़ी राशि जुटाना, बिना सरकारी अधिकारियों के मिलीभगत संभव नहीं है।’
स्टर्लिंग बायोटेक के मैनेजिंग डायरेक्टर नितिन संदेसरा 5000 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड केस में CBI और ED के लिए वॉन्टेड हैं। कहा जा रहा है कि संदेसरा परिवार नाइजीरिया भाग चुका है, जहां उन्होंने क्रूड आॅइल प्रॉडक्शन में निवेश किया है। सूत्रों ने बताया कि ED संदेसरा परिवार के खिलाफ प्रिवेंशन आॅफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के तहत चार्जशीट दायर करने को तैयार है। एजेंसी ने इस बात के सबूत जुटाए हैं कि कैसे संदेसरा ग्रुप ने भारत और विदेशों में मौजूद फर्जी कंपनियों के जरिए पैसों को ‘यहां से वहां’ किया।
संदेसरा परिवार पर एजेंसियां करीब से नजर रख रही हैं। आशंका है कि वे बैंकों के साथ लोन निपटारे की कोशिश कर सकते हैं। संदेसरा और उनका परिवार नाइजीरिया में है। भारत का नाइजीरिया के साथ प्रत्यर्पण संधि नहीं है।
नाइजीरिया में राजनीतिक संबंध
संदेसरा परिवार ने अफ्रीका में निवेश के जरिए नाइजीरिया में मजबूत राजनीतिक संबंध स्थापित कर लिए हैं और इस वजह से उनका प्रत्यर्पण और अधिक मुश्किल हो गया है। एऊ ने नितिन, चेतन संदेसरा और अन्य के खिलाफ पिछले साल 27 अक्टूबर को केस दर्ज किया था। इससे ठीक पहले सीबीआई ने भी 5000 करोड़ रुपये के कथित बैंक घोटाले में केस दर्ज किया था।
कांग्रेस पार्टी की अगुआई वाली यूपीए सरकार के दौरान 2012-14 के बीच स्टर्लिंग बायोटेक को विभिन्न बैंकों से 5000 करोड़ रुपये के लोन दिए गए, जो बाद में एनपीए में तब्दील हो गए। एजेंसियों ने इस मामले में 4700 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है। ईडी और सीबीआई ने कंपनी के डायरेक्टर्स नितिन और चेतन संदेसरा, राजभूषण दीक्षित और विलास जोशी, चार्टर्ड अकाउंटेंट हेमंत हाथी, आंध्रा बैंक के पूर्व डायरेक्टर अनूप गर्ग और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।