ओस की बूंद सी तेरी याद अक्सर,
मेरे दिल का कँवल भिगा जाती है।
बड़ी शीतल सी ये बूँदे अक्सर,
दिल के जख्म सहला जाती है।
इबादत की थी मैंने तेरी तू मेरा खुदा जो था,
पर खुदा से रंज करूँ ये हक़ भी तो न था।
गर खुदा रूठे तो कौन दे आसरा ये बताया तो होता,
बिन तेरे किस पथ बढ़ूँ ये रास्ता दिखाया तो होता।
तेरी लगन मुझे लगी थी ऐसी,
मेरी धड़कनों में भी तेरी लय होती थी।
फिर क्या सुबह क्या शाम,
मेरी बातें भी तेरे नाम पिरोये होती थी।
इतनी मोहब्बत,
हाँ इतनी मोहब्बत पाई है तुमसे,
की दामन भी मेरा कम पड़ता था।
ना धड़कनों में ही,
मेरी साँसों में भी तेरे प्यार का,
मधुर संगीत सुनाई पड़ता था।
अब किससे माँगू मैं ये प्यार जो,
तुम अपने साथ लेकर चले गए।
भरी दुनिया में अपनी लाडली को,
बस अकेला करके चले गए।
बस अकेला करके चले गए।
-श्रद्धा टिबड़ेवाल।