मोदी सरकार को घेरने चन्द्रबाबू नायडू भी चले ममता की राह, विपक्षी दलों से साध रहे संपर्क
नई दिल्ली। सत्ताधारी बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की कोशिशों के बाद अब चंद्रबाबू नायडू भी उसी राह पर हैं। आंध्र प्रदेश के सीएम और टीडीपी चीफ नायडू ने मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों से संपर्क साधने में जुटे हुए हैं। यहां तक कि नायडू हाल में ऐंटी कांग्रेस स्टैंड लेने वाली मायावती को भी वापस लाने की कोशिश में लगे हैं।
Chandrababu Naidu also surrounds the Modi government, the path of Mamta, the contact with opposition parties
हालांकि विपक्ष के फ्रंट में नायडू की एंट्री देर से हुई है क्योंकि उन्होंने अभी मार्च में ही स्पेशल स्टेट्स के मसले पर आंध्र से धोखा देने का आरोप लगाकर एनडीए का साथ छोड़ा है। उनके करीबी टीडीपी सूत्रों का कहना है कि अब नायडू अपोजिशन फ्रंट को मजबूत करने के लिए ओवरटाइम काम कर रहे हैं।
किंग नहीं किंगमेकर की भूमिका चाहिए
माहिर राजनीतिज्ञ समझे जाने वाले नायडू के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने विपक्षी एकता का नेतृत्व करने की बजाय खुद को ‘किंगमेकर’ की भूमिका में रखने का फैसला किया है। सूत्रों का कहना है कि आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद लोकसभा सीटों की संख्या घट गई है। ऐसे में उन्हें यह महसूस हुआ है कि उनके पास विपक्षी धड़े के नेतृत्व के लिए पर्याप्त संख्याबल भी नहीं रहेगा।
2014 में नायडू ने कांग्रेस को राज्य बंटवारे का दोषी ठहराया था लेकिन अब रोचक तरीके से उन्होंने पार्टी के साथ गठबंधन करने की वजह भी हासिल कर ली है। नायडू ने ‘राजनीतिक बाध्यता’ बताते हुए पड़ोसी राज्य तेलंगाना में इसका प्रयोग किया है। पहले उन्होंने सीपीआई और तेलंगाना जन समिति जैसे छोटे दलों को साथ लिया। फिर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर दबाव बनाया कि वह ‘महाकुटामी’ में शामिल होकर 7 दिसंबर को होने वाले चुनाव में के चंद्रशेखर राव को हराने में साथ आए।
2019 में भी इसे दोहराने की कोशिश
सूत्रों का कहना है कि टीडीपी चीफ 2019 लोकसभा चुनावों में भी इस फॉम्युर्ले को दोहराने की योजना बना रहे हैं। बेंगलुरु में जेडीएस-कांग्रेस सरकार के गठन के बाद कुमारस्वामी के शपथग्रहण में मौजूद होकर नायडू ने विपक्षी एकता का साथ दिया था। बताया जा रहा है कि नायडू तभी से विपक्षी एकता के फॉम्युर्ले पर काम कर रहे हैं।
नायडू ने ममता बनर्जी, डीएमके चीफ स्टालिन, दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल और लेफ्ट पार्टियों को अपने साथ लाने में कामयाबी हासिल कर ली है। इसके अलावा वह आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, कर्नाटक सीएम एचडी कुमारस्वामी, आरएलडी नेता अजीत सिंह, शरद यादव और नैशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला के भी संपर्क में हैं।
मायावती ने दिखाया था ऐंटी कांग्रेस स्टैंड, मनाने में जुटे नायडू
पिछले दिनों बीएसपी चीफ मायावती ने ऐंटी कांग्रेस स्टैंड दिखाया था। ऐसा माना जा रहा है कि नायडू फिर से उन्हें विपक्षी एकता के खेमे में लाने में जुटे हुए हैं। इसके अलावा वह नियमित तौर पर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के भी संपर्क में हैं। शिवसेना, शिरोमणी अकाली दल और बिहार में उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी जैसी बीजेपी की सहयोगी पार्टियों पर भी नायडू की नजर है। इन दलों ने हाल में एनडीए में बेचैनी के संकेत दिए हैं।
सूत्रों का कहना है कि नायडू राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन और सम्मेलनों में विपक्षी दलों को शामिल करने की योजना बना रहे हैं। नायडू इससे पहले भी कह चुके हैं कि उनकी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ इसलिए चुनाव लड़ा था क्योंकि टीडीपी ही मुख्य विपक्षी दल थी। उन्होंने कहा था कि टीडीपी और कांग्रेस में इकनॉमिक रिफॉर्म्स, डिवेलपमेंट और धर्मनिरपेक्षता के बारे वैचारिक में रूप से कोई बड़ा फर्क नहीं है।