पिछले एक साल में औसतन 15% बढ़ा ओला, ऊबर का किराया

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बेंगलुरु। बीते एक साल में ओला और ऊबर का औसत किराया 15 प्रतिशत बढ़ चुका है। रिसर्च ऐंड अडवाइजरी फर्म रेडसीअर ने इसका आंकड़ा पेश किया है। इसका कहना है कि किराए में 15% की यह वृद्धि 2017 में हुई 10% की बढ़ोतरी के ऊपर हुई है। यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत के आधार पर निकाला गया है। यानी, शहर दर शहर वास्तविक वृद्धि में अंतर हो सकता है।
In the last one year, average 15% increase in hail, ober rent
बेंगलुरु के ओला, ऊबर यूजर्स ने किराए में बहुत ज्यादा वृद्धि की बात कही है। बता दें कि रेडसीअर ने अलग-अलग शहरों में किराया वृद्धि का आंकड़ा पेश नहीं किया है। गौरतलब है कि दोनों कंपनियों को प्रति दिन करीब-करीब 32 से 35 लाख ग्राहक मिलते हैं।  बहरहाल, टाइम्स आॅफ इंडिया के साथ साझा की गई इस स्टडी कहती है कि इन ऐप आधारित कैब की हरेक बुकिंग पर औसत 220 रुपये ज्यादा लग रहे हैं।

पिछले साल वृद्धि का यह आंकड़ा 190 रुपये था। वहीं, पिछले एक वर्ष में ड्राइवरों को मिलनेवाला इंसेंटिव 30 प्रतिशत कम हो गया है। इसी तथ्य से पता चलता है कि मंगलवार को दिल्ली और मुंबई में ओला और ऊबर के ड्राइवर्स क्यों हड़ताल पर चले गए थे। वे घटती आमदनी और इंसेटिव्स के लिए मिल रहे काम के अतिरिक्त घंटों में कटौती का विरोध कर रहे थे।

ड्राइवरों की औसत मासिक आय जुलाई से सितंबर 2016 के दौरान 30 हजार रुपये से ज्यादा थी, जो अब घटकर 20 हजार रुपये के आसपास रह गई है। इसमें इंसेटिव्स शामिल हैं जबकि वाहन की ईएमआई पेमेंट्स शामिल नहीं है। दरअसल, पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम का असर भी उनकी आमदनी पर हुआ है। दो साल पहले बुकिंग वैल्यू पर करीब 60 प्रतिशत इंसेंटिव्स मिलते थे जो पिछले साल घटकर 18 से 20 प्रतिशत पर आ गए। रेडसीअर ने कहा कि इंसेंटिव्स घटकर 14 से 15 के आसपास रह गए हैं।

स्टडी कहती है कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि से ड्राइवरों को पेट्रोल-डीजल और मेंटनेंस का खर्च अगस्त महीने से अब तक प्रति माह करीब 700 रुपये तक बढ़ चुका है। टाइम्स आॅफ इंडिया ने ओला और ऊबर के प्रवक्ताओं को ईमेल भेजकर प्रतिक्रिया मांगी, तो उनसे कोई जवाब नहीं आया। दरअसल, ड्राइवरों की इनकम घटने और किराए में वृद्धि से पता चलता है कि ओला और ऊबर अपना मुनाफा बढ़ाने में जुट गई हैं। दोनों कंपनियों को अच्छा-खासा नुकसान हो रहा था, लेकिन अब इसमें गिरावट आई है।