माता-पिता के रिश्तों से तय होता है क्या होगा बच्चों का भविष्य: प्रीति जैन

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भोपाल। इंद्रा पब्लिशिंग हाउस द्वारा प्रकाशित परवरिश और अंतर्द्वंद्व: परिवार के माहौल से जुड़ी है बच्चों की सफलता, पुस्तक का विमोचन गुरूवार को स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी और क्लब लिटराटी के सहयोग से किया गया। यह पुस्तक साइकॉलोजिस्ट व सीबीएसई काउंसलर डॉ. शिखा रस्तोगी और पत्रकार प्रीति जैन द्वारा लिखी गई है।
Parents’ relationship determines what will be the future of children: Praty Jain
इस पुस्तक में टॉपर्स की कहानियों के जरिए यह समझाने की कोशिश की गई है कि यदि आप अपने परिवार के माहौल को खुशनुमा, सहयोगात्मक, लक्ष्यपूर्ण और संगठित बनाएंगे, जहां सभी को अपनी बात निसंकोच रखने की आजादी हो और सभी एक दूसरे की भावनाओं और इच्छाओं का सम्मान करते हो तो सफलता आम परिवारों के आम बच्चों को भी मिल सकती है।

किताब उन सभी परिवारों कि मदद के लिए लिखी गई है जो किसी ना किसी तरह की पेरेंट्स-चाइल्ड रिलेशनशिप में उलझे हुए हैं। यह किताब जमीनी हकीकत की पड़ताल करते हुए लिखी गई है जोकि आपको एक अभिभावक के रूप में एक शिक्षक के रूप में खुद को परखने का मौका भी देगी। इस मौके पर क्लब लिटराटी की प्रेसीडेंट डॉ. सीमा रायजादा, गांधी मेडिकल कॉलेज के एचओडी साइकेट्री डॉ. आर एन साहू, मनोविशेषज्ञ डॉ. विनय मिश्रा और बाल अधिकारों को लेकर काम करने वाले विभांशु जोशी मौजूद सहित इंद्रा पब्लिशिंग हाउस के एमडी मनीष गुप्ता मौजूद रहे। कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन दीपाली गुप्ता ने किया।

अंतर्द्वंद्व से बाहर निकलने का प्रयास:
इस मौके पर कार्यक्रम की मॉडरेटर रश्मि गोल्या ने दोनों आॅथर्स से कई सवाल-जवाब किए। जिसमें प्रीति जैन ने बताया कि वे 13 साल से एजुकेशन बीट कवर करते हुए टॉपर्स की सक्सेस रेसिपी जानने को प्रकाशित करती आ रही है। जो बातें समाने निकलकर आती है, उससे पता चलता है कि महंगी कोचिंग, महंगा स्टडी मटेरियल महत्व रखता है लेकिन उससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है, परिवार का माहौल जो कि अभिभावक बनाते हैं।

यदि परिवार में पति-पत्नी के आपसी रिश्ते सुलझे हुए हैं, वे एक-दूसरे को सम्मान देते हैं तो इसका सीधा असर बच्चों की परवरिश पर पड़ता है क्योंकि ऐसे परिवारों में किसी तरह कम्युनिकेश? गेप नहीं रहता और वे खुलकर विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हैं, जिसका नतीजा सकारात्मक होता है। 10 वीं के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हुए बच्चे शहर से बाहर जाते हैै, लेकिन सफल वहीं बच्चे होते हैं, जो कि अपनी खुशी से मेंटली प्रिपेयर होकर बाहर जाते हैं। सिर्फ पेरेंट्स की इच्छा की खातिर बाहर जाकर या कोचिंग पर जाकर पढ़ने वाले बच्चों की सफलता की गुंजाइश कम होती है।

मिलेंगे भविष्य में आने वाली चुनौतियों पर जवाब…
वहीं डॉ शिखा कहती हैं, प्रत्येक अभिभावक के परवरिश से जुड़े कई सवाल होते हैं जिनके जवाब आप ढूंढते रहते हैं और अक्सर अंतर्द्वंद्व में फंस जाते हैं। यहां आपको उन सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे। बच्चों की परवरिश के दौरान घर का माहौल कैसा रखा जाए, बच्चों के साथ कैसा व्यवहार किया जाए और इमोशनल क्वोशंट को कैसे बढाया जाए, जिससे बच्चों कि सफलता का प्रतिशत बढाया जा सके। इस बुक में दिए गए कुछ टेस्ट और एक्टिविटी आपकी उत्सुकता को बनाए रखेंगे। आशा है कि आप इस किताब के जरिए कुछ ऐसा हासिल कर पाएंगे जिसके बारे आप सोचते जरूर होंगे। यह किताब बहुत सारे प्रैक्टिकल तरीके से बताएगी। इस पुस्तक जरिए अभिभावक अपना सेल्फ एनासिलिस और अपनी पेरेंटिंग स्टाइल की पड़ताल भी कर सकेंगे।

साइकॉलोजिस्ट एवं 12 साल से सीबीएसई काउंसलर डॉ शिखा रस्तोगी एजुकेशन फील्ड में 33 साल का अनुभव रखती है। काउंसिलिंग के जरिए देशभर के स्टूडेंट्स की समस्याओं और पेरेंट्स की परेशानियों को सुनते हुए जाना की बहुत कुछ ऐसा है जिसका सामना हर परिवार कर रहा है। डॉ. रस्तोगी टीचर्स और स्कूल मैनेजमेंट स्ट्रेंथनिंग प्रोग्राम व वर्कशॉप के जरिए नियमित रूप से बच्चों, किशोरो, अभिभावकों और शिक्षकों के साथ जुड़ी रहती हैं।
लेखक परिचय: डॉ. शिखा रस्तोगी

बतौर पत्रकार 13 साल से एजुकेशन बीट पर लगातार ग्राउंड रिपोर्टिंग करते हुए देश भर के टॉपर्स के इंटरव्यू किए। साल 2006 से लेकर मई 2018 तक दैनिक भास्कर भोपाल में सीनियर जर्नलिस्ट और वर्तमान में पीपुल्स समाचार में सीनियर जर्नलिस्ट हैं। नियमित रूप से तमाम राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षाओं के टॉपर्स के इंटरव्यूज, संघर्ष व सफलता की कहानियां, एजुकेशनल रिफॉर्म, काउंसिलिंग, रिलेशनशिप आदि विषयों पर नियमित रूप से ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रही हैं।
लेखक परिचय: प्रीति जैन