गाजियाबाद। हवा की क्वॉलिटी बेहद ‘गंभीर’ स्तर पर पहुंच गई है, जिसकी वजह से दिल्ली में प्राइवेट गाड़ियों पर बैन लगाए जाने की संभावनाएं तेज हो गई हैं लेकिन गाजियाबाद में सरकारी अफसर ही ऐसे हैं जिनके पास 30-30 साल पुरानी गाड़ियां हैं और सड़कों पर फरार्टा भर रही हैं।
‘Poison’ in the air, registered ‘junk’ vehicles in the name of responsible officers
एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए 10 और 15 साल पुराने वाहनों को सड़क से हटाने का जिम्मा सरकारी अधिकारियों को सौंपा है लेकिन प्रदूषण रोकने के लिए जिम्मेदार अफसर और उनका महकमा ही ऐसी गाड़ियों का इस्तेमाल कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अगले दिन मंगलवार को एनबीटी की टीम ने अलग-अलग विभागों में जाकर सरकारी वाहनों का निरीक्षण किया तो पता चला कि निगम, जीडीए, सिंचाई और स्वास्थ्य विभागों में इस आदेश का जमकर उल्लंघन किया जा रहा है।
30 साल पुराना ट्रक
सिंचाई विभाग के पास करीब 30 साल पुराना ट्रक है। इसे 1998 में ही कबाड़ घोषित किया जाना था लेकिन अभी भी विभाग इस वाहन से काम करवा रहा है। खास बात यह है कि इसका गाजियाबाद आरटीओ आॅफिस में रजिस्ट्रेशन नहीं है। इस संबंध में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता नीरज कुमार का कहना है कि यह ट्रक यहां का नहीं है, किसी और जिले का होगा। किसी काम के लिए यहां आया होगा।
21 साल पुरानी है निगम की एंबेसडर
निगम में नगर आयुक्त के नाम से रजिस्टर्ड ऐंबैसडर कार 21 साल पुरानी है। आज भी यह गाड़ी सड़कों पर दौड़ लगा रही है। निगम के अकाउंट अफसर के नाम यह गाड़ी अलॉट है जबकि आदेश है कि 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को एनसीआर में नहीं चलाया जाएगा। निगम इस आदेश का पालन नहीं करता है। नगर आयुक्त सी.पी. सिंह का कहना है कि इस कार को जल्द ही कबाड़ घोषित किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया चल रही है।
स्वास्थ्य विभाग में 16 साल पुरानी चल रहीं डीजल गाड़ियां
स्वास्थ्य विभाग में एक वाहन 16 साल पुराना हो चुका है लेकिन इन्हें अभी कबाड़ नहीं किया गया है। यूपी-32 एआर 1270 का रजिस्ट्रेशन डायरेक्टर जनरल वेलफेयर के नाम है। यह 2002 मॉडल है। विभाग को कोई चिंता नहीं कि इससे क्या नुकसान होगा। वहीं यूपी-32 बीजी 0683 डायरेक्टर सोशल वेलफेयर के नाम से रजिस्टर्ड है। यह 2005 मॉडल है। दोनों डीजल वाहन हैं। एसीएमओ डॉ. संजय अग्रवाल का कहना है कि इन वाहनों की जांच की जाएगी,जल्द ही इन्हें कबाड़ किया जाएगा
जीडीए के सचल दस्ते में 10 साल से पुराना वाहन
जीडीए में एक वाहन दस साल से अधिक पुराना हो चुका है लेकिन अभी तक इसे कबाड़ नहीं किया गया। स्वराज मजदा का यह ट्रक जीडीए के सचल दस्ते के साथ चलता है। जीडीए सचिव संतोष राय का कहना है कि इस वाहन को नवंबर में होने वाली बोर्ड बैठक में प्रस्ताव लाकर कबाड़ घोषित किया जाएगा।
खतरनाक होता है पुराने वाहनों का धुआं
पुराने डीजल वाहन बड़े पैमाने पर जानलेवा कण और नाइट्रोजन डाइआॅक्साइड छोड़ते हैं जो दमा, ब्रोंकाइटिस, दिल का दौरा और बच्चों में विकास संबंधी बीमारी को पैदा करता है। एक रिपोर्ट के अनुसार पेट्रोल इंजन की तुलना में डीजल चार गुना ज्यादा नाइट्रोजन डाइआॅक्साइड और 22 गुना ज्यादा खतरनाक कण उत्सर्जित करता है। डीजल में मौजूद सल्फर नामक धातु सल्फर डाइआॅक्साइड का निर्माण करता है जो नाक, गले और सांस की नली में दिक्कत पैदा करता है जिससे खांसी और सांस की समस्या पैदा होती है।