नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में आजाद भारत के सबसे बड़े विवादों में से एक अयोध्या विवाद के उछलने की जमीन तैयार होती दिख रही है। राज्यसभा में बीजेपी के सांसद राकेश सिन्हा ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए प्राइवेट मेंबर बिल लाने का ऐलान कर दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, लालू प्रसाद यादव, सीताराम येचुरी और बीएसपी सुप्रीमो मायावती समेत कई अन्य नेताओं को चुनौती भी दी है कि वे अपना स्टैंड क्लियर करें। राकेश सिन्हा ने गुरुवार को इस सिलसिले में कई ट्वीट किए हैं।
Rakesh Sinha to launch Ram Temple for Ayodhya dispute, ready for land, private member bills
साफ है कि 2019 के चुनावी साल से ठीक पहले अयोध्या मुद्दा एक बार फिर संसद के साथ-साथ पब्लिक डिबेट का हिस्सा बनने जा रहा है।
आपको बता दें कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले की सुनवाई अगले साल जनवरी तक टाल दी। इसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद जैसे हिंदू संगठनों की तरफ से केंद्र की मोदी सरकार पर राम मंदिर के लिए अध्यादेश लाने का दबाव बनाया जा रहा है। केंद्र में स्पष्ट बहुमत की सरकार और यूपी में अबतक की सर्वाधिक मजबूत स्थिति को इंजॉय कर रही बीजेपी पर इस दबाव का जवाब देने का भी दबाव है। हालांकि एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि राम मंदिर पर कानून बनाने की राह इतनी आसान नहीं है, कई अड़चनें हैं।
राकेश सिन्हा ने कहा, बहुत पूछते थे राम मंदिर की तारीख
गुरुवार सुबह राष्ट्रीय राजधानी जब स्मॉग की चादर में लिपटी थी तो बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा के कुछ ट्वीट्स ने दिल्ली समेत देशभर में राजनीतिक गर्मी को बढ़ा दिया। राकेश सिन्हा ने ट्वीट में लिखा, ‘जो लोग बीजेपी और संघ को उलाहना देते रहते हैं कि राम मंदिर की तारीख बताएं, उनसे सीधा सवाल है कि क्या वे मेरे प्राइवेट मेंबर बिल का समर्थन करेंगे? समय आ गया है दूध का दूध पानी का पानी करने का।’ उन्होंने इस ट्वीट में राहुल गांधी, अखिलेश यादव, सीताराम येचुरी, लालू प्रसाद यादव और चंद्रबाबू नायडू को भी टैग किया।
राकेश सिन्हा यहीं नहीं रुके। उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा, ‘आर्टिकल 377, जलिकट्टू और सबरीमाला पर फैसला देने में सुप्रीम कोर्ट ने कितने दिन लगाए? लेकिन दशकों से अयोध्या प्राथमिकता में नहीं है। यह हिंदू समाज के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता में है।’ अगले ट्वीट में फिर उन्होंने राहुल गांधी, येचुरी और लालू को टैग करने के साथ मायावती का जिक्र करते हुए लिखा कि जो तारीख पूछते थे अब उनपर जिम्मेदारी है कि बताएं बिल का समर्थन करेंगे या नहीं?
अब्दुल्ला बोले, राम या अल्लाह वोट नहीं करेंगे
इस बीच, नैशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने कहा है कि वे सोचते हैं कि भगवान राम उन्हें 2019 का चुनाव जिता देंगे। उन्होंने आगे कहा कि चुनाव जीतने में ईश्वर मदद नहीं करेंगे क्योंकि वोट जनता करती है, भगवान राम या अल्लाह वोट नहीं करेंगे।
क्या होता है प्राइवेट मेंबर बिल?
भारत की संसद में किसी भी कानून को बनाने की प्रक्रिया किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में बिल पेश करने से शुरू होती है। बिल को सरकार के मंत्री या किसी संसद सदस्य की तरफ से पेश किया जा सकता है। अगर सरकार के मंत्री बिल पेश करते हैं तो उसे गवर्नमेंट बिल और दूसरी स्थिति को प्राइवेट मेंबर बिल कहते हैं। यानी संसद में सरकारी विधेयकों के अलावा सदस्यों को व्यक्तिगत विधेयक लाने का भी अधिकार है। हालांकि इन विधेयकों का कानून की शक्ल लेना पार्टी लाइन या फिर सरकार के रुख से तय होता है। लोकसभा और राज्यसभा में हर शुक्रवार को दोपहर बाद का समय निजी विधेयक (प्राइवेट मेंबर बिल) पेश करने के लिए तय है।
“अगर मैं राज्यसभा में राम मंदिर पर प्राइवेट मेंबर बिल लाता हूं तो क्या कांग्रेस उस बिल का समर्थन करेगी?”
-राकेश सिन्हा, बीजेपी राज्यसभा सांसद