टकराव के बीच सरकार ने दोहराया- आरबीआई गवर्नर को पद छोड़ने के लिए नहीं कहेंगे

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक के साथ ताजा विवाद सुलझाने का प्रयास करते हुए सोमवार को कहा कि सेंट्रल बैंक के साथ मतभेद पहले भी रहे हैं, इसलिए गवर्नर उर्जित पटेल को बाहर नहीं किया जाएगा। एक सरकारी सूत्र ने कहा, ‘सरकार और सर्वोच्च बैंक के बीच मतभेद कोई नई बात नहीं है, बल्कि अतीत में कई सरकारों के साथ ऐसे वाकये हो चुके हैं।’ इस सूत्र ने उन मौकों का जिक्र किया जब आर्थिक नीति के लिए जिम्मेदार इन दोनों पक्षों का नजरिया एक जैसा नहीं रहा था।
Government repeats between conflicts: RBI will not ask the governor to step down
एक अधिकारी ने बताया कि उर्जित पटेल का कार्यकाल अगले साल अगस्त में खत्म होगा। चूंकि आरबीआई और सरकार के बीच मतभेद 10 दिन पहले सार्वजनिक हुआ, इसलिए पटेल की किस्मत को लेकर अटकलबाजियां होने लगी हैं। पिछले बुधवार को तो यह अफवाह तक फैल गई कि आरबीआई ऐक्ट के सेक्शन 7 के तहत सरकार द्वारा उनसे औपचारिक विमर्श किए जाने के बाद पटेल पद छोड़ने का विचार कर रहे हैं। इसके कुछ देर बाद ही सरकार ने आरबीआई की स्वायत्तता पर जोर देते हुए एक बयान जारी किया और कहा कि दोनों पक्षों को सार्वजिनक हित एवं भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए काम करना है।

सरकार लिक्विडिटी, क्रेडिट फ्लो और कमजोर बैंकों के लिए लागू प्रॉम्प्ट करेक्टिव ऐक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क को लेकर आरबीआई पर दबाव डाल रही है, लेकिन वह केंद्रीय बैंक में नया संकट खड़ा नहीं करना चाहती। शनिवार को टाइम्स आॅफ इंडिया ने अतीत में आरबीआई और सरकारों के बीच के मतभेद की घटनाओं  की विस्तृत जानकारी दी थी। इसमें बताया गया था कि वर्ष 1937 में ही तत्कालीन गवर्नर आॅब्सबॉर्न स्मिथ ने त्यागपत्र दे दिया था। उसके बाद 1957 में जब आरबीआई गवर्नर बेनेगल रामा राव और तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णमाचारी के बीच मतभेद उभरे तो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने वित्त मंत्री का पक्ष लिया था।

नेहरू ने राव को चिट्ठी लिखकर कहा, ‘आपने आरबीआई की स्वायत्तता पर जोर दिया है। यह वाकई स्वायत्त है, लेकिन इसे केंद्र सरकार के दिशा-निदेर्शों पर भी चलना है। मौद्रिक नीति सरकार की व्यापक आर्थिक नीतियों पर ही आधारित होनी चाहिए। आरबीआई इन्हीं व्यापक नीतियों के दायरे में ही सुझाव दे सकता है। वह सरकार की मुख्य उद्देश्यों एवं नीतियों को चुनौती नहीं दे सकता।’ पत्र मिलने के कुछ दिन बाद ही राव ने पद से इस्तीफा दे दिया था। सरकारी सूत्र ने सोमवार को कहा, ‘नेहरू ने जो तब कहा था, वह आज भी सच है।’