मप्र में सीएम की दौड़ में कमलनाथ आगे, सिंधिया पिछड़े, दिग्गी सब पर भारी, राजस्थान में गहलोत सबसे आगे

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जयपुर। दरअसल, राजस्थान में गहलोत के साथ ही मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ को पार्टी के आंतरिक समीकरण में मजबूती मिलती दिख रही है। पार्टी के भीतर भी यह माना जा रहा है कि विधानसभा चुनावों के दौरान दोनों ही राज्यों में इन वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी अहम होगी। बताया जा रहा है कि राजस्थान में कांग्रेस के कई नेताओं ने आलाकमान तक यह बात भी पहुंचाई कि गहलोत के चुनाव मैदान में नहीं होने से पार्टी को खासा नुकसान हो सकता है।
Kamal Nath ahead in the race for CM, Scindia backward, Diggy heaviest on all, Gehlot in Rajasthan tops
गहलोत का समर्थन कर रहे नेताओं ने पार्टी हाईकमान से यह भी कहा है कि चुनावों में जीत के लिए यह जरूरी है कि जो भी उम्मीदवार (गहलोत भी शामिल) जीतने की क्षमता रखता है। माना जा रहा है कि ऐसे में अब सचिन पायलट के पास सिर्फ यही विकल्प बच गया है कि वह या तो अजमेर से कोई सीट चुनाव के लिए चुन लें या फिर किसी सुरक्षित सीट के लिए प्रतिद्वंदी खेमे से समझौता करें।

दरअसल, अशोक गहलोत के चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद से ही पार्टी में सियासी हलचल तेज है। पार्टी के भीतर भी गहलोत के इस तेवर को दुर्लभ बताया जा रहा है। हालांकि यह भी माना जा रहा है कि सूबे में अपने खिलाफ बन रहे माहौल के बीच गहलोत ने इस घोषणा के जरिए मजबूत वापसी के संकेत दिए हैं।

इसके साथ ही गहलोत ने उन अफवाहों पर भी फिलहाल विराम लगा दिया है, जिसमें कहा जा रहा था कि पार्टी संगठन से जुड़े होने के कारण वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। उधर, कांग्रेस के भीतरखाने इस बात की भी चर्चा है कि गहलोत के इस घोषणा ने राजस्थान में सीएम चेहरे के रूप में उभर रहे सचिन पायलट के सामने भी मुश्किल चुनौती खड़ी कर दी है।

अब सीएम फेस को लेकर हलचल और तेज
उधर, अब राजस्थान में इस बात को लेकर भी हलचल तेज हो गई है कि अब कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री का उम्मीदवार कौन होगा। हालांकि चुनावी मैदान में गहलोत की एंट्री ने इसे और दिलचस्प जरूर बना दिया है। उधर, माना जा रहा है कि पार्टी पर पकड़ और सूबे का पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते गहलोत चुनावों में मुख्य चेहरा बनकर उभर सकते हैं।

मध्य प्रदेश में भी सिंधिया के सामने चुनौती
उधर, मध्य प्रदेश में भी पार्टी के भीतर मतभेद उभरकर कई बार सामने आए हैं। हालांकि फिलहाल पार्टी की तरफ से कहा जा रहा है कि यहां सब कुछ अब पटरी पर है। दरअसल, पिछले दिनों दिग्विजय सिंह ने यह कहकर कि वह सीएम फेस नहीं हैं, काफी हद तक पार्टी के लिए इस तनाव को दूर किया है। हालांकि इस बीच वह सूबे में अलग-अलग क्षेत्रों में अपने 75 उम्मीदवारों को टिकट दिलाने में सफल रहे हैं।

कलमलनाथ और सिंधिया ने 45-45 सीटें और अजय सिंह और सुरेश पचौरी 10-15 सीट (प्रत्येक) प्राप्त करने में सफल रहे हैं। हालांकि इन सबके बीच सिंधिया के खास सत्यव्रत चतुवेर्दी अपने बेटे के लिए एक सीट तक नहीं ले पाए हैं। यही वजह है कि यहां भी दिग्विजय और कमलनाथ के सामने सिंधिया के रास्ते आसान नहीं दिख रहे हैं।