भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भोपाल की एक सीट बीजेपी के लिए 2019 लोकसभा चुनाव की प्रयोगशाला बनी हुई है। सूत्रों के मुताबिक भोपाल उत्तर की इस मुस्लिम बहुल सीट पर मुस्लिम महिला उम्मीदवार को उतारकर बीजेपी सियासी प्रयोग कर रही है । अगर यह प्रयोग सफल रहा तो 2019 में मुस्लिम बहुल सीटों पर इसे दोहराया जा सकता है।
MP Assembly elections: Muslim majority seat of Bhopal North, becoming a laboratory for BJP
यही वजह है कि यह सीट और इस सीट से चुनाव लड़ रहीं बीजेपी प्रत्याशी फातिमा रसूल सिद्दीकी दोनों ही चर्चा में हैं। फातिमा इसलिए भी चर्चा में हैं कि वह बीजेपी की तरफ से सूबे में अकेली मुस्लिम महिला प्रत्याशी हैं। भोपाल उत्तर की इस सीट पर से बीजेपी उम्मीदवार फातिमा के चुनावी कार्यालय का उद्घाटन गुरुवार को खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने किया। एक उम्मीदवार के चुनावी कार्यालय में सीएम का आना ही इस सीट की अहमियत बता देता है। इस सीट का महत्व इसलिए है कि यहां कांग्रेस और बीजेपी, दोनों के उम्मीदवार मुस्लिम हैं।
बीजेपी की अकेली मुस्लिम कैंडिडेट
मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में बीजेपी की अकेली मुस्लिम प्रत्याशी फातिमा के सामने यहां पांच बार के विधायक आरिफ अकील मैदान में हैं। इस क्षेत्र में लगभग 50 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। पिछली बार भोपाल जिले में एकमात्र यही सीट थी, जिसे जीतने में कांग्रेस सफल रही थी। बीजेपी को लगता है कि ट्रिपल तलाक और मुस्लिम महिलाओं से जुड़े दूसरे मुद्दों पर चुनाव को बदला जा सकता है। कांग्रेस उम्मीदवार आरिफ अकील की अपनी छवि ही उनकी ताकत है।
चार बार से जीत रहे आरिफ की मजबूत पकड़
पिछले चार चुनाव से लगतार जीत रहे आरिफ की पहचान जरूरत पड़ने पर हमेशा उपलब्ध रहने वाले नेता की है। हिंदू और मुस्लिम, दोनों की बीच पकड़ है। सुलेमान अहमद के मुताबिक यह कहना गलत होगा कि वह मुस्लिम वोटरों की मदद से जीतते हैं। उनकी बात का समर्थन चाय बेचने वाले बलराम सिंह भी करते हैं। अपनी दुकान के सामने बनी सड़क को दिखाते हुए बलराम कहते हैं कि पिछली बार जब सड़क पर पानी लगा तो आरिफ ने धरना देकर सड़क बनवाई, जबकि उनके मुहल्ले में सिर्फ हिंदू रहते हैं।
बीजेपी की रणनीति से कांग्रेस बैकफुट पर
1984 में भोपाल गैस त्रासदी के बाद सबसे अधिक प्रभावित यही इलाका हुआ था। कांग्रेस विधायक ने त्रासदी के बाद इस इलाके में एक बड़ा मुहल्ला बसा दिया। आज वह मुहल्ला उनके नाम से ही जाना जाता है- आरिफ नगर। स्थानीय लोगों के बीच पकड़ होने के बावजूद इस बार बीजेपी की बदली रणनीति से उनके सामने नई चुनौती है। लंबे समय से विधायक रहने के बाद एक स्वाभाविक ऐंटी इनकंबेंसी भी वह झेल रहे हैं।