जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग:…तो कांग्रेस, एनसीपी, पीडीपी का प्लान रहा सफल

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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस, पीडीपी और एनसी का सरकार बनाने का दावा पेश करने के पीछे कोई योजना थी? अगर जानकारों की माने तो यह तीनों दलों द्वारा सूबे की विधानसभा भंग कराने का ‘प्लान’ था। दरअसल, पीडीपी ने जैसे ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक के पास राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया उसके कुछ घंटे बाद ही राज्यपाल ने विधानसभा ही भंग कर दी।
Break the Jammu and Kashmir Legislative Assembly: … then the Congress, NCP, PDP’s plan succeeded
पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती द्वारा गवर्नर को लेटर लिखकर समय लेने के बाद से ही खबरों और टीवी रिपोर्ट्स में इस तरह के दावे किए जा रहे थे कि गैर-बीजेपी मोर्चा सरकार बनाने जा रहा है। इसके बाद एकाएक राज्य में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदलने लगे और अंत में राज्यपाल से विधानसभा भंग कर दी।

सूत्रों का कहना है कि तीनों पार्टियों द्वारा साथ आना सरकार बनाने की कोशिश कम और राज्यपाल तथा बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश ज्यादा था। सूत्रों का कहना है कि इस पूरी कवायद के पीछे इन तीनों पार्टियों का मूल उद्देश्य भी विधानसभा भंग कराना ही था। बीते दिनों राज्य में हुए पंचायत चुनाव में वोटरों की भागीदारी के बाद क्षेत्रीय पार्टियों का आकलन गलत साबित हुआ है।

जिस समय सज्जाद लोन विधायकों को साधने का प्रयास कर रहे थे, उसी समय पीडीपी के मुजफ्फर बेग ने ऐंटी बीजेपी कैंप जॉइन करने की बात कही। पीडीपी, नैशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने इस पर चर्चा शुरू की। इसके बाद जनता के सामने यह बात उस समय आई जब बेग ने लोगों के बीच आकर बयान दिया। पीडीपी और एनसी साथ आने के लिए तैयार है और कांग्रेस ने भी पीडीपी को लेकर नरमी के संकेत दिए हैं।

इस बात को इससे भी बल मिलता है कि कांग्रेस ने शुक्रवार को अपने सभी विधायकों और पार्टी के सीनियर नेताओं को बैठक के लिए बुलाया था। जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के प्रमुख गुजाम अहमद मीर ने कहा, ‘बीजेपी राज्य की सांस्कृतिक विरासत को खत्म करने की कोशिश कर रही है। ऐसे में यदि एक सोच वाली पार्टियां साथ आएं तो अच्छा होगा।’