बाखबर/
राघवेन्द्र सिंह
मध्यप्रदेश में िवधानसभा चुनाव कश्मकशपूर्ण दौर में प्रवेश कर रहा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में हैं। वैसे तो खंदक की लड़ाई शुरू होगी चुनाव प्रचार बंद होने की शाम से। मगर इस बार के चुनाव भाजपा के लिए सर्वाधिक प्रतिष्ठापूर्ण हैं। ये चुनाव प्रदेश भाजपा के साथ अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा का भविष्य तय करने वाले होंगे इसलिए अभी से गोटियां बैठाना शुरू कर दी गई हैं। चुनाव के नतीजों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह तक का कद तय होगा। जीते तो महारथी और हारे तो पुन: मूषको भव:…
Was not everything right in the BJP-union …
भाजपा में कोई भी निर्णय तत्काल नहीं होते इसलिए चुनाव प्रबंधन, प्रचार और फिर उसके नतीजे कई नेताओं का भविष्य बनाने और बिगाड़ने वाले होंगे। दो दिन पहले हमने लिखा था िक प्रबंधन को लेकर भाजपा संगठन को हाईकमान ने निशाने पर लिया है। इसके चलते एक बार फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मदद ली गई है। दरअसल संघ की अनुशंसा के विरुद्ध टिकट वितरण के कारण संघ नाराज है। पहले यह अनुमान था लेकिन कुछ ऐसे संकेत िमले जिससे यह साबित हुआ कि चुनाव में संघ से जुड़े संगठन अलग लाइन ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सक्रिय हुए और संघ नेताओं से मुलाकात के बाद अगले 48 घंटों में इसके सकारात्मक नतीजे दिखाई पड़ सकते हैं। राज्य की खुफिया रिपोर्ट के साथ संघ और भाजपा के अपने सर्वे ने कुछ मामलों में कांग्रेस को आगे बताया था। इसके बाद दिल्ली से लेकर भोपाल तक जिम्मेदार सक्रिय हो गए। इस मामले में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को ग्वालियर-चंबल में भितरघात रोकने के लिए कहा गया। खबर यह है कि भाजपा के जिला पदाधिकारी से लेकर मंडल स्तर के नेता जो कार्यकतार्ओं को सक्रिय करते हैं, मतदाताओं से संपर्क बनाते हैं उन्हें फिर से एकत्र किया जा रहा है।
भीतर का फीडबैक यह है कि कार्यकर्ता नेताओं की बात सुनने के बाद हां में हां मिलाकर घर बैठ रहा है। पार्टी की चिंता इसी बात को लेकर है। पहले ऐसा नहीं होता था। एक-दो बार मनाने के बाद कार्यकतार्ओं के समूह मैदान में उतर जाते थे। पार्टी के भीतर इस बात पर भी सुझाव आ रहे हैं कि 2008 और 2013 में जो लोग संगठन में सक्रिय थे उन्हें इस दौर में फिर बुलाकर काम पर लगाया जाए। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो यह कहते हैं कि अब देर हो चुकी है। समय इतना कम है कि तत्काल कुछ नहीं किया तो पुराने भरोसेमंद संगठक भी कार्यकतार्ओं को बूथ स्तर तक ईमानदारी से सक्रिय नहीं कर पाएंगे। कुल मिलाकर प्रदेश भाजपा संगठन इस समय डैमेज कंट्रोल में जुटा हुआ है। इसके लिए साम, दाम, दंड, भेद जैसे तमाम उपाय अपनाए जा रहे हैं। भाजपा नेतृत्व ने कहा है िक कार्यकतार्ओं को मनाया जाए ताकि जीत पुख्ता और सुनिश्चित हो सके।
दूसरी तरफ कांग्रेस भाजपा की हर गतिविधि पर नजर रखकर अपने वॉर रूम में काउंटर अटैक की तैयारी कर रही है। फिलहाल भाजपा की तुलना में कांग्रेस संसाधनों के मामले में कमतर है। लेकिन उम्मीद की जा रही है कि अगले एक-दो दिन में कांग्रेस के मैनेजर भी अपना खजाना खोलेंगे। इसके पीछे वजह यह बताई जा रही है कि उसके पास जन और धन दोनों की कमी है इसलिए वह आखिरी दौर के लिए उत्साह और ताकत दोनों को बचाकर चल रही है। कांग्रेस का मानना है कि जब तक जनता उसकी लड़ाई में शामिल नहीं होगी सफलता पाना कठिन जरूर है मगर हालात उसे कामयाब बनाएंगे।