भोपाल गैस त्रासदी : ये मर्सिया मैं कब तक गाऊं?

0
663

प्रतिदिन
राकेश दुबे

ये मर्सिया में कल अर्थात ३ दिसम्बर को भी गा सकता था | आज ४ दिसम्बर को गा रहा हूँ तो किसी को क्या ? अब मेरा त्ख्ख्लुस ही “गैस पीड़ित” हो गया है | मैं ही नहीं मेरे जैसे कई भोपालवासी पिछले ३४ बरस से लगातार ये मर्सिया दोहरा रहे हैं, किसी के कान पर जूं रेंगने का तैयार नहीं है | मेरे जैसे कई लोग जो दो और तीन दिसंबर 1984 की रात, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में थे आज भी है, घायल हैं और मर्सिया गा रहे हैं | उस वाकये से जिसे मैं हर साल अपने लेख में दोहराता हूँ पर उस समय जिले तैनात आला अफसर किताब लिख चुके हैं या लिख रहे हैं | भोपाल का दर्द ज्यों-का –त्यों है |३४ बरस बाद भी |
Bhopal gas tragedy: How long will I sing this Murcia?
एक ऐसी घटना, जिसने देश-दुनिया को झकझोर कर रख दिया था| उस रात भोपाल के यूनियन कार्बाइड के प्‍लांट से जहरीली गैस मिथाइल आइसो साइनाइड का रिसाव हुआ था| तब शहर के लोग चैन की नींद सो रहे थे, लेकिन अब भोपाल के लोगों की खैर-ख्वाह बनी सरकारें सो रही हैं | यूनियन कार्बाइड -तब का मालिक वारेन एंडरसन भी दुनिया से चला गया और भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों की तरफ से मुकदमा लड़ने और न्याय दिलाने के लिए सारे अधिकार अपने हाथों में लेकर स्वयं भू चौधरी बने तत्कालीन प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी भी | हम भोपाल के लोग जिन्दा है, मुआवजे की आस में | अब तक न मुआवजा मिला और न इंसाफ |

उस रात यूनियन कार्बाइड से निकली गैस ने सिर्फ उस रात ही लोगों को मौत की नींद नहीं सुलाया बल्कि आने वाली पीढ़ियों में से भी कई को अपना शिकार बना लिया| जी हां, गैस के असर ने कई मांओं की कोख उजाड़ दी, तो कई पर ऐसा असर डाला कि उनके बच्चे विकलांग पैदा हो रहे हैं| कई बछे बचपन से ही विकलांग हैं| ये न बोल सकते हैं, न चल सकते हैं, न खड़े हो सकते हैं और न ही बैठ सकते हैं|स्कूल नहीं जा पाते हैं, तो स्कूल की ड्रेस पहनकर ही तसल्ली कर लेते हैं|

अब भी यूनियन कार्बाइड कारखाने में करीब ३५० टन जहरीला कचरा मौजूद है| भोपाल की जमीन में दफन ८ से१० हजार टन जहरीले कचरे से जल और मिट्टी दूषित हो गए हैं|इसके चलते बीमारियों से रोज दो-दो हाथ करना पड़ रहे हैं | कोई भी सरकार में आया गया हो, हमारे साथ इंसाफ किसी ने नहीं किया| ९५ प्रतिशत गैस पीड़ितों को सिर्फ २५ हज़ार मिले हैं इसे अंतरिम राहत मान लो या मुआवजा |