बुलंदशहर हिंसा, पुलिस के दावे और योगेश की शिकायत में विरोधाभास, क्लीन चिट देने की तैयारी में पुलिस

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लखनऊ। बुलंदशहर में हुई हिंसा के मामले में पुलिस के दावे और मुख्य आरोपी योगेश की शिकायत पर दर्ज हुई गोकशी की एफआईआर में काफी विरोधाभास दिख रहा है। इससे यूपी पुलिस की जांच सवालों के घेरे में आ गई है। इसमें सबसे अहम सवाल उठ रहे हैं योगेश राज की एफआईआर और यूपी पुलिस के दावे। इसके अलावा जिस तरह से यूपी पुलिस के अफसर मुख्य आरोपित के हिंदू संगठन से जुड़े होने की बात कहने और उसे क्लीन चिट देने की जल्दबाजी में दिख रहे हैं उससे पूरी जांच ही सवालों के घेरे में है। संभावना है कि इसे देखते हुए जल्द ही मामले की सीबीआई जांच की मांग उठ सकती है।
Bulandshahr violence, police claims and contradictions in Yogesh’s complaint, police preparing for clean chit
डीजीपी मुख्यालय के प्रवक्ता आईजी क्राइम एस. के. भगत ने बुधवार तक हुई जांच के आधार पर दावा किया था कि महाव गांव के खेतों से जो कथित गोवंशी अवशेष मिले थे वे करीब दो दिन पुराने थे। जबकि योगेश राज की एफआईआर को सही मानें तो गोवंशीय पशु को तीन दिसंबर की सुबह ही मौके पर काटा जा रहा था। एफआईआर के मुताबिक योगेश और उसके साथी शिखर, सौरभ व अन्य सुबह करीब 9 बजे घूमने निकले थे तो उन्होंने जंगल में गोवंशी काटते देखा। इसके चलते सवाल उठ रहा है कि या तो अफसरों का दावा गलत है या फिर योगेश राज की एफआईआर।

डीजीपी मुख्यालय और जिलों में तैनात अफसरों के बीच तालमेल की कमी दिख रही है। घटना वाले दिन पहले डीजीपी मुख्यालय द्वारा पथराव में इस्पेंक्टर की मौत होने की बात कही जा रही थी। लेकिन बाद में गोली लगने की बात कही गई। आईजी रेंज मेरठ ने कहा कि अभी तक की जांच में योगेश राज की भूमिका सामने नहीं आई है। जबकि घटनास्थल के कई विडियो में उसकी मौजूदगी साबित हुई है। एडीजी (लॉ ऐंड आॅर्डर) आनन्द कुमार भी पहले दिन योगेश राज के बजरंग दल से जुड़े होने पर कुछ बोलने से बच रहे थे। जबकि सारे अधिकारी जानते थे कि योगेश राज बजरंग दल से जुड़ा है।