किनारे पर मिली जीत से कांग्रेस ने मालवा-निमाड़ में पाई संजीवनी

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इंदौर। सत्ता के करीब पहुचंने में इस बार कांग्रेस के लिए मालवा-निमाड़ करीब साबित हुआ। इंदौर संभाग के तीन जिले धार, झाबुआ और खरगोन में कांग्रेस को बढ़त मिली। इसके अलावा आठ ऐसी सीटें थीं जहां कांग्रेस उम्मीदवारों ने किनारे पर जीत हासिल की। तीन हजार से कम अंतर की ये जीत कांग्रेस के लिए भी संजीवनी साबित हुई। हालांकि कुछ भाजपा प्रत्याशियों को भी किनारे पर जीत मिली।
Congress won in Malwa-Nimad by winning the victory on the banks of Sanjivani
भाजपा को भारी पड़ा मांधाता में प्रयोग
खंडवा जिले में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया। चार में से तीन सीटें भाजपा की झोली में आईं लेकिन मांधाता सीट पर किया गया प्रयोग भारी पड़ गया। यह सीट भाजपा ने 1236 वोट पिछड़ने से गंवाई। इस सीट से भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार चौहान चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन संगठन ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उन्हें ‘रिजर्व’ में रखा और विधायक लोकेंद्रसिंह तोमर का टिकट काटकर नरेंद्रसिंह तोमर को टिकट दिया।

टिकट नहीं बदलने से मिला कांग्रेस को फायदा
सुवासरा विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार हरदीपसिंह डंग ने दूसरी बार जीत दर्ज की। उन्होंने 350 वोटों के अंतर से चुनाव जीता। भाजपा ने यहां नए चेहरे को मौका देने के बजाय पूर्व विधायक राधेश्याम पाटीदार को चुनाव लड़ाया। पाटीदार पिछला चुनाव डंग से हारे थे। विधायक रहते हुए पाटीदार पर निष्क्रियता के आरोप लगे थे और उन्हें मोदी लहर के बावजूद चुनाव में जीत नहीं मिली, जबकि मालवा से उनके अलावा कोई भी भाजपा प्रत्याशी चुनाव नहीं हारा था।

किनारे पर जीते बच्चन
निमाड़ में कांग्रेस के दिग्गज नेता बाला बच्चन भी किनारे पर जीते, पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी सीट बदली थी और राजपुर से उम्मीदवार बने थे। इस बार भी संगठन ने उन्हें इसी विधानसभा सीट से टिकट दिया। उन्हें भाजपा प्रत्याशी अंतरसिंह पटेल ने अच्छी टक्कर दी और मुकाबला कांटे का रहा। बच्चन ने सिर्फ 900 वोटों के अंतर से चुनाव जीता। यह सीट भी कांग्रेस को बहुमत के करीब ले जाने में मददगार साबित हुई। कांग्रेस के मंत्रिमंडल में निमाड़ से बच्चन को बड़ी जिम्मेदारी भी मिलना तय मानी जा रही है।

ये सीटें भी कांग्रेस के लिए रही मददगार
सांवेर विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी तुलसी सिलावट की 2900 मतों से जीत भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। भाजपा से पहले विधायक राजेश सोनकर का टिकट बदलने की कवायद की जा रही थी, लेकिन कोई दमदार चेहरा नहीं मिला और उन्हें ही टिकट दिया गया। तराना से कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र परमार 1843 वोटों से जीते। नागदा-खाचरौद की सीट भी कांग्रेस की झोली में आई। यहां दिलीप गुर्जर 2771 वोटों जीते। जोबट विधानसभा से जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं कलावती भूरिया दो हजार वोटों के अंतर से जीत पाईं।

बुरहानपुर जिले में कांग्रेस प्रत्याशी सुमित्रा कास्डेकर की जीत भी चौंकाने वाली रही। उन्होंने सिर्फ 1264 वोटों से भाजपा प्रत्याशी मंजू दादू को हराया। विधानसभा चुनाव की एक-एक सीट पर गहरा मंथन करने के बजाय भाजपा के रणनीतिकारों ने लोकसभा चुनाव के हिसाब से टिकट प्लान किए।

नंदकुमार चौहान के अलावा लगातार पांच बार विधायक रहे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पर भी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए दबाव नहीं बनाया। महू की तरह इस बार उन्हें भी किसी कठिन सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता था। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए प्रेमचंद गुड्डू की जिद भी भाजपा को भारी पड़ी। यदि भाजपा नेता उनके बेटे के बजाय खुद गुड्डू पर चुनाव लड़ने का दबाव बनाते तो बाजी पलट सकती थी।