भोपाल। मंत्रिमंडल गठन के बाद बुधवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में पहली कैबिनेट हुई। इसमें ऊर्जा विभाग की समीक्षा की गई। इस दौरान मुख्यमंत्री ने तेवर दिखाते हुए कई बार अधिकारियों को टोका और निर्देश दिए। उन्होंने पूछा कि जब प्रदेश में सरप्लस बिजली के दावे किए जाते हैं तो फिर कटौती क्यों हो रही है।
CM Nath’s sharp move on power issue, asked officials when there is surplus electricity in the state why the cut
अधिकारियों ने जब इससे इनकार करते हुए आंकड़ों का सहारा लिया तो उन्होंने कहा कि इनमें और जमीनी हकीकत में फर्क है। फिर विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि तीन दिन में खराब ट्रांसफार्मर बदले जाएं। ज्यादा बिल आने की समीक्षा हो और बिजली बिल हाफ संबंधी वचन पर क्रियान्वयन शुरू किया जाए।
मंगलवार को मंत्रिमंडल की प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में हुई अनौपचारिक बैठक में बिजली का मुद्दा प्रमुखता से उठा था। वरिष्ठ मंत्री तुलसीराम सिलावट ने इस मुद्दे को उठाया था। इस पर मुख्यमंत्री ने बुधवार को कैबिनेट में ऊर्जा विभाग की बैठक बुलाई। सूत्रों के मुताबिक, सिलावट ने बैठक में अस्थाई बिजली कनेक्शन को स्थाई करने का विषय रखा।
उन्होंने कहा कि चार माह के लिए 16 हजार 865 रुपए अस्थाई कनेक्शन लेने में लगते हैं, लेकिन चना व गेहूं की फसल के लिए दो माह की बिजली की दरकार होती है। यदि स्थाई कनेक्शन दिए जाएं तो किसानों पर कम वित्तीय भार आएगा। पोल से ही कनेक्शन दिया जाए वर्ना इसके भी पैसे लिए जाते हैं।
वहीं, बाला बच्चन ने कहा कि फीडर सेपरेशन का काम फेल हो गया है। गांवों में बहुत से लोग खेत में घर बनाकर रहते हैं। यहां सिर्फ दस घंटे बिजली मिलती है। इन्हें 24 घंटे सिंगल फेज बिजली दी जाए। ट्रांसफार्मर ओवरलोड होने की वजह से खराब हो रहे हैं। इनकी जगह उच्च क्षमता के ट्रांसफार्मर रखे जाएं।
सुखदेव पांसे ने सारणी थर्मल पॉवर प्लांट को उजाड़ देने का मुद्दा उठाते हुए इसे फिर शुरू करने की बात कही। साथ ही बताया कि रात में बिजली प्रदाय की जाती है और दिन में कटौती, इसे बदला जाए। करंट लगने से मृत्यु होने पर चार लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए। हर्ष यादव ने भी अपनी बात रखी।
इसके पहले ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव आईसीपी केशरी ने बिजली की स्थिति को लेकर प्रस्तुतिकरण दिया। इसमें बिजली की उपलब्धता, खपत, बिजली बिल की स्थिति आदि विषय पर जानकारी दी। जब बिजली आपूर्ति का मुद्दा आया तो मंत्रियों ने कटौती की बात उठाई।
मुख्यमंत्री ने पूछा कि जब सरप्लस बिजली के दावे किए जाते हैं तो फिर कटौती क्यों। अधिकारियों ने जब कटौती की बात को आंकड़ों के जरिए स्पष्ट करने का प्रयास किया तो मुख्यमंत्री ने कहा कि आंकड़े और जमीनी हकीकत में फर्क है। हमें आंकड़े से मतलब नहीं, बल्कि हकीकत से है।
वास्तविकता में बिजली सुलभ होनी चाहिए। संबल योजना में जब दो सौ रुपए में बिजली देने का प्रावधान है तो फिर ज्यादा बिल क्यों आ रहे हैं। वसूली किस बात की हो रही है। बैठक में विभाग ने बताया कि 2024-25 में मौजूदा करार, एक-दो साल में पॉवर जनरेटिंग कंपनी, एनटीपीसी के साथ ही नवकरणीय ऊर्जा की क्षमता बढ़ने से पर्याप्त बिजली उपलब्ध होगी।