नई दिल्ली। तीन तलाक बिल लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक तौर पर एक बड़ा मुद्दा बन गया है। सरकार और विपक्षी दल दोनों इस बिल को लेकर अपने स्टैंड से पीछे नहीं हटना चाहते हैं। विपक्ष इसे अहम बिल बताते हुए इस पर सिलेक्ट कमिटी में चर्चा चाहता है तो सरकार की तरफ से यह दिखाने की कोशिश हो रही है कि विपक्ष इस बिल को रोकना चाहता है।
The big issue is three takal bills, the BJP is more concerned with the opposition’s position than the ‘apaan’
सूत्रों के मुताबिक सरकार 2 जनवरी को फिर इस बिल को पास कराने की कोशिश कर सकती है। वहीं, सरकार और बीजेपी की ज्यादा चिंता विपक्ष के तेवर से नहीं बल्कि अपनों के रुख से है। जेडीयू ने साफ कर दिया है कि वह बिल के सपॉर्ट में नहीं है और लोकसभा में भी वोटिंग से खुद को अलग रखा था। राज्यसभा में भी जेडीयू ने कह दिया कि वह बहस से अलग रहेगी।
रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी भी खुलकर सपॉर्ट में नहीं है। अमूमन सरकार के साथ हर मुद्दे पर साथ रहने वाली एआईएडीएमके भी इस बिल के विरोध में है। अकाली भी इस बिल पर मुखर रूप से बीजेपी के साथ दिखने से परहेज कर रहे हैं। बिल को लेकर बीजेपी को संघ के भीतर भी असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
अपनी-अपनी बात
विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों यह दिखाने की कोशिश में हैं कि वह महिलाओं के हक में ज्यादा सोचते हैं। जहां सरकार विपक्ष पर बिल को रोकने का आरोप लगा रही है। वहीं, विपक्ष का कहना है कि इतने अहम बिल पर चर्चा जरूरी है क्योंकि इसका बहुत से लोगों की जिंदगी पर असर पड़ना है। संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने कहा कि लोकसभा में पहली बार कांग्रेस ने इस बिल का समर्थन किया था, दूसरी बार उसने चर्चा में हिस्सा लिया। उन्होंने विपक्ष पर इस बिल पर चर्चा से बचने का आरोप लगाया।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह मामला इंसानियत और मानवता का है। सरकार इस बिल पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी तीन तलाक की घटनाएं हो रही हैं और कल तक ऐसी घटनाएं हुई हैं। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को असंवैधानिक और गैरकानूनी घोषित किया था।
एकजुटता से खुश विपक्ष
विपक्ष के लिए राहत की बात यह दिख रही है कि इस बिल के बहाने वे सभी एक मंच पर आए हैं। इससे उत्साहित कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह खुद सदन में बहस नहीं चाह रही है। उनका इशारा एआईडीएमके की ओर से किए जा रहे हंगामे की तरफ था। सरकारी सूत्रों के मुताबिक अगर संसद में गतिरोध के कारण बिल पास नहीं होता है तो फिर अध्यादेश का विकल्प खुला रहेगा और सरकार इसे लाएगी। मालूम हो कि अब तक सरकार तत्काल तीन तलाक से जुड़े 2 आॅर्डिनेंस जारी कर चुकी है। साथ ही इस बिल में बार-बार बदलाव हो चुका है।