जबड़े में फंसे जाल से घड़ियाल से मानी हार, अंतत: हुई मौत

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मुरैना। चार महीने तक जबड़े में फंसे जाल को लेकर जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहे चंबल नदी के वयस्क नर घड़ियाल ने अंतत: शुक्रवार को जीवन का साथ छोड़ दिया। यह घड़ियाल किसी शिकारी के जाल की चपेट में आ गया था। तब से घड़ियाल भोजन भी नहीं कर पा रहा था। इस बारे में जब पूछा गया तो वन विभाग का तर्क था कि घड़ियाल बहुत बड़ा है और उसे पकड़कर जाल निकालने के लिए विभाग के पास संसाधन नहीं है। विभाग घड़ियाल की हर रोज फोटोग्राफी कराकर जाल के गलने का इंतजार कर रहा था। घड़ियाल के शव का पोस्टमार्टम श्योपुर में करवाया गया है।
The lost neck from the trapped trap in the jaw, finally the death
संसाधन नहीं होने का था रोना
वन विभाग ने बताया था कि उनके पास इतने बड़े घड़ियाल को रेस्क्यू करने का कोई इंतजाम नहीं है। न ही इतने बड़े घड़ियाल के हिसाब से ट्रेंड स्टाफ है। अधिकारियों को लग रहा था कि रेस्क्यू के दौरान घड़ियाल अथवा कर्मचारियों को चोट लग सकती है। यही वजह है कि वन विभाग घड़ियाल के जबड़े में फंसे जाल के गलने का इंतजार कर रहा था।

दुर्बल हो गया था शरीर
मुंह में जाल फंसने के कारण पीड़ित घड़ियाल शिकार भी नहीं कर पा रहा था। ऐसे में उसकी जान को खतरा था। लेकिन वन अधिकारी यह ही कहते रहे कि घड़ियाल लंबे समय तक भूखा रह सकता है। पीएम के लिए लाए गए घड़ियाल का शरीर अत्यंत दुर्बल दिखा। इस मामले में बात करने के लिए डीएफओ पीडी गेब्रियल को उनके मोबाइल पर कॉल किए गए, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किए।