जरूरतमंदों की मंशानुसार योजनाओं का क्रियान्वयन जरूरी : कमल नाथ

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भोपाल। मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने आज यहाँ कन्वेंशन सेंटर में तीन दिवसीय आईएएस ऑफीसर्स मीट का शुभारंभ किया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि जरूरतमंदों की मंशा के अनुरूप योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाना वर्तमान समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सफलता और संतुष्टि में बहुत अंतर होता है। किसी पद को प्राप्त करने की सफलता संतुष्टि का आधार नहीं होती। संतुष्टि सफल परिणामों से मिलती है। सफलता किसी पद पर बने रहने तक रहती है, जबकि संतुष्टि सारा जीवन साथ चलती है।
Implementation of schemes needed in the mind of the needy: Kamal Nath
विविधता का संरक्षण सबसे बड़ी चुनौती
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व भारत को उसकी अनेकता में एकता की ताकत के लिये देखता है, आर्थिक और सैनिक शक्ति के लिये नहीं। उन्होंने कहा कि हमारी सबसे बड़ी खूबी सहनशीलता है, जो चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक के समय से विद्यमान है। हमें गर्व होना चाहिये कि हम ऐसे देश के नागरिक हैं, जहाँ अनेक धर्म, जाति, परम्पराएँ, भाषाएँ विद्यमान हैं। दुनिया में कोई ऐसा अन्य राष्ट्र नहीं है। हमारा पहनावा भी भौगोलिक बदलाव के साथ बदल जाता है। हमारी विविधता और अनेकता ही हमारी शक्ति है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका संरक्षण वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौती है।

नव-निर्माण के लिये संकल्पित और समर्पित हों अधिकारी
श्री कमल नाथ ने कहा कि तेजी से बदलते विश्व की चुनौतियों के साथ देश और प्रदेश का नव-निर्माण करना समय की माँग है। इसके अनुरूप ही हम सबको मिलकर, संकल्पित और समर्पित होकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि सेवा के स्वरूप में परिवर्तन के साथ-साथ आम जनता की अपेक्षाओं में भी बदलाव हुआ है। वैश्विक स्तर पर नाटो का स्वरूप बदला है। अब गुटनिरपेक्ष जैसे आंदोलनों की चर्चा नहीं होती। उन्होंने कहा कि देश ने इन परिवर्तनों को बखूबी अपनाया है। हमारे सामने चुनौती यह है कि हम वैश्विक बदलावों को कैसे देखते हैं, कैसे स्वीकार करते हैं। श्री कमल नाथ ने कहा कि आज अधिकारियों के समक्ष सबसे बड़ा दायित्व नवीन परिवर्तनों के साथ देश और प्रदेश को आगे ले जाना है। सोचना होगा कि शासन में बदलाव और सुधार कैसे किया जाये। उन्होंने कहा कि इसी तथ्य पर प्रदेश के भविष्य का स्वरूप तय होगा।

मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा कि विश्व का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। इसके अनुसार ही हम भी बदल रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 1992 में पहली बार उन्होंने लाल बहादुर प्रशासन अकादमी, मसूरी में उदबोधन दिया था। इसके 6-7 वर्ष बाद जब वे पुन: अकादमी में गये, तो उन्हें वहाँ संकाय, प्रशिक्षणार्थियों और विषय-वस्तु में बहुत परिवर्तन देखने को मिला। उन्होंने कहा कि वर्ष 1992 मे अकादमी में तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी आदि विषयों पर कोई बात नहीं होती थी। श्री कमल नाथ ने कहा कि ऐसा विशिष्ट बदलाव उन्हें पिछले दिनों भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रोबेशनल अधिकारियों से मुलाकात के समय महसूस हुआ। उन्होंने कहा कि इन अधिकारियों में बड़ी संख्या इंजीनियरों और डॉक्टरों की है। आज से 20 वर्ष पूर्व ऐसा नहीं होता था। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों की आयु वर्ग में भी अंतर आया है।