गौर के खिलाफ कार्रवाई का साहस नहीं जुटा पा रही भाजपा, बागियों को एकजुट होने का मिल रहा मौका

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भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई को लेकर भारतीय जनता पार्टी के हाईकमान पर दबाव बढ़ रहा है, लेकिन पार्टी गौर के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस नहीं जुटा पा रही है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, गौर की लगातार बयानबाजी से पार्टी के खिलाफ माहौल बन रहा है। साथ ही बर्खास्त नेताओं को एकजुट होने का मौका मिल रहा है। कांग्रेस नेताओं द्वारा इन्हें हवा देने से लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच भी गलत संदेश जा रहा है। ऐसे हालात में पार्टी नेताओं के बीच मंथन चल रहा है कि अंतिम बार विधायक कृष्णा गौर को समझा दिया जाए कि वे गौर को समझाएं वरना पार्टी को कार्रवाई के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
BJP is not able to get courage to take action against Gaur, rebels get chance to unite
बाबूलाल गौर के विवादास्पद बयानों के बावजूद पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई करने के मुद्दे पर मौन है। गौर ने विधानसभा चुनाव में भी टिकट के लिए पार्टी पर दबाव बनाया था। बहू कृष्णा गौर के साथ दो सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ने की चेतावनी तक दे दी थी। अब फिर पार्टी लाइन के बाहर बयानबाजी शुरू कर दी और कहा कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव लड़ने का आॅफर दिया है और वे इस पर विचार कर रहे हैं। हालांकि इसके बावजूद पार्टी किसी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई के मूड में नहीं दिख रही है।

एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि लगता है पार्टी अब ब्लैकमेल होने लगी है। यदि समय रहते इसका इलाज नहीं किया गया तो मर्ज और भी बढ़ जाएगा। इधर, पार्टी नेताओं का मानना है कि हाईकमान अभी गौर जैसे वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं करना चाहता है, क्योंकि इससे माहौल और खराब होगा।

मप्र भाजपा के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय कहते हैं कि पार्टी के किसी भी नेता के आचार व्यवहार या बयान से संगठन का अनुशासन खराब होता है तो वे सारी बातें प्रदेश नेतृत्व के संज्ञान में होती हैं। पार्टी की अनुशासन समिति इस संबंध में विचार करती है और प्रदेश नेतृत्व के सामने रखने के बाद फैसला होता है।

किसी भी प्रकरण में क्या स्थिति है, इस संबंध में अनुशासन समिति के प्रमुख या प्रदेशाध्यक्ष ही जानकारी दे सकते हैं। भाजपा की अनुशासन समिति के प्रमुख बाबूसिंह रघुवंशी से जब इस बारे में बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि बाबूलाल गौर की उम्र का तकाजा है। उनको कोई गंभीरता से नहीं लेता है। वैसे उन्हें इस तरह की बयानबाजी नहीं करना चाहिए। पार्टी फोरम पर अपनी बात रखें, अन्यथा वे निर्णय लेने में सक्षम हैं।