जयपुर। राजस्थान में पांच फीसद आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जर समाज ने शुक्रवार शाम को दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर कब्जा कर लिया। इसके साथ ही विभिन्न जिलों में सड़कों पर जाम लगा दिया। साथ ही आरक्षण नहीं मिलने तक रेल और सड़क यातायात थामने की सरकार को चेतावनी दी है। राज्य सरकार ने भी भारी पुलिस बल तैनात करने के साथ ही गुर्जर बहुल इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी है। रेलवे पुलिस फोर्स भी पटरियों पर तैनात की गई है। इस बीच, रेलवे पीआरओ ने बताया कि सवाई माधोपुर और बयाना रेलवे स्टेशन के बीच चलने वाली 4 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है, वहीं 7 ट्रेनों का रास्ता बदला गया है।
Gujjar agitators take over the railway track demanding reservations, take possession of roads
आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जरों की ओर से पूर्व में सरकार को दी गई चेतावनी के मद्देनजर शुक्रवार को सवाई माधोपुर जिले के मलारना डूंगर में गुर्जर समाज की महापंचायत हुई। इसमें आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिह बैंसला ने कहा कि गुर्जर सहित रायका, बंजारा, गाड़िया लुहार और रेबारी जातियों को पांच फीसद आरक्षण देने को लेकर 20 दिन पहले अल्टीमेटम दिया गया था।
राज्य सरकार से कहा गया था कि यदि आठ फरवरी को शाम चार बजे तक आरक्षण देने की घोषणा नहीं की गई तो गुर्जर समाज सवाई माधोपुर में दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर कब्जा करने के साथ ही प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर रेल और सड़क यातायात को बाधित करेगा। सरकार की तरफ से आरक्षण को लेकर कोई पहल नहीं की गई। अब समाज के पास मलारना डूंगर रेलवे ट्रैक पर कब्जा करने के साथ ही प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर रेल और सड़क यातायात बाधित करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण होगा। किसी को भी परेशान नहीं किया जाएगा। महापंचायत समाप्त होने के बाद बैंसला की अगुवाई में गुर्जर समाज के लोगों ने रेलवे ट्रैक की तरफ कूच किया और करीब आधा घंटे में वहां पहुंचकर पटरी पर कब्जा कर लिया ।उधर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आंदोलन को लेकर फीडबैक लिया है। संभवत:गुर्जर नेताओं से बातचीत के लिए मंत्रियों और अधिकारियों की कमेटी बनाई जाएगी।
पटरी उखाड़ने का भी किया प्रयास
गुर्जरों द्वारा मलारना डूंगर में रेलवे ट्रैक पर कब्जा करने के कारण एक दर्जन ट्रेनों को सवाई माधोपुर, गंगापुर, कोटा, जयपुर, बयाना और भरतपुर रेलवे स्टेशनों पर रोक दिया। कुछ ट्रेनें बीच रास्ते में ही रोक दी गईं। इस बीच आंदोलनकारियों ने कोठड़ी गेट के पास रेल की पटरी उखाड़ने का प्रयास किया । भारी पुलिस बल तैनात प्रशासन ने भी आंदोलन को देखते हुए भरतपुर, करौली, बूंदी, कोटा, सवाई माधोपुर, अजमेर, दौसा और टोंक जिलों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से सुरक्षा बल को बुलवाया गया है। आंदोलन के दौरान प्रभावित इलाकों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य सरकार ने आठ जिलों में राजस्थान सशस्त्र बल की 17 कंपनियों की तैनाती की है। एक दर्जन राज्य पुलिस सेवा एवं राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को विभिन्न स्थानों पर तैनात किया गया है ।
गुर्जर नेताओं से बातचीत की कोशिश
सरकार ने गुर्जर नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। गुर्जर बहुल जिलों में तैनात रहे आइएएस और आइपीएस अधिकारियों को भी शांति व्यवस्था कायम रखने के साथ ही गुर्जर नेताओं के साथ बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिह और खेल मंत्री अशोक चांदना के साथ ही आधा दर्जन विधायक गुर्जर नेताओं के संपर्क में हैं। आरक्षण की सबसे पहले मांग साल 2006 में उठी थी। 2007 में आंदोलन काफी उग्र हुआ था। इस दौरान पुलिस की फायरिग में 26 लोग मारे गए थे । इसके बाद 2008 में गुर्जर फिर सड़कों पर उतरे । इस दौरान पुलिस के साथ हुई झड़प में 38 लोग मारे गए । 2015 में फिर पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जरों ने रेलवे ट्रैक पर कब्जा कर लिया । इसके बाद भी कई बार छिट-पुट झड़पें होती रही, इनमें कुल 73 लोग मारे गए।