राकेश दुबे
Kamal Nath gets “Kadak” Nath
चिट्ठी का पहला वाक्य ही पढिये “आप मेरे अग्रज हैं, मेरे उत्तर का सही तरह से अध्ययन कर लेते और मीडिया में जाने से पहले मुझसे चर्चा कर लेते तो ऐसी स्थिति निर्मित नहीं होती। आपका बयान पढ़कर दुख हुआ। मुझे लगता है कि आपने मेरा उत्तर पढ़े बिना सोशल मीडिया और अखबारनवीसों को बयान दे दिया। जबकि आपके पुत्र और नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह द्वारा एक प्रश्न के उत्तर में सिंहस्थ घोटाले में विभाग को क्लीन चिट दे दी गई है। कृपया, आप सभी के साथ न्याय करें|” साफ –साफ पक्षपात का आरोप लगा दिया |वो भी इस नाजुक हालत में जब कांग्रेस में गुटीय संतुलन गडबडा रहा है | पत्र लिखने से पूर्व मुख्यमंत्री से सलाह लेनी थी |
नही ली तो गम्भीर मसला है और सलाह लेकर चिट्ठी लिखी है तो और गंभीर |हाथों-हाथ जवाब भी आ गया “मैंने दोनों मंत्रियों के अलावा जयवर्धन को भी डांटा है,उन्होंने सिंहस्थ घोटाले में कैसे क्लीन चिट दे दी। मैंने कहा है कि जीएडी से रिपोर्ट मंगवाकर दोषियों पर कार्रवाई करे। जहां तक मंत्रियों के जवाब पर नाराजगी जताने की बात है तो उसमें कौन से कानून या नियम का उल्लंघन किया है। बेवजह बात का बतंगड़ बनाया जा रहा है। मंदसौर गोलीकांड में निहत्थे किसानों पर गोली चलाई गई और नर्मदा किनारे हुए पौधरोपण में जमकर भ्रष्टाचार हुआ। इन मामलों को मंत्री कैसे जस्टिफाई कर रहे हैं।“ यह सब क्या है ?एक और मंत्री सज्जन सिंह वर्मा कहते हैं “मंत्रियों को अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए। वे अधिकारियों के भरोसे न रहें। दिग्विजय सिंह को मंत्रियों को ट्रेनिंग देनी चाहिए। इस पर वन मंत्री उमंग सिंघार ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मैं भी १५ साल से एमएलए हूं, अध्ययन करना आता है।“ यह सब सौम्यता का नतीजा है या गुट साधने की मजबूरी ?
मामूली बहुमत से चल रही इस सरकार के मंत्रियों के रवैये से नाराज २७ विधायकों ने क्लब बनाया है। इनकी राजधानी के एक होटल में बैठक हुई|ये विधायक आज मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिलेंगे। उनका कहना है कि क्षेत्र में होने वाले कामों की शिलान्यास पट्टिका में उनका नाम नहीं लिखा जाता।इस बैठक में बसपा विधायक संजीव सिंह, रामबाई, सपा के राजेश शुक्ला, कांग्रेस के आरिफ मसूद, प्रवीण पाठक, संजय यादव, सिद्धार्थ कुशवाह,शशांक भार्गव, देवेंद्र पटेल, निलय डागा, जजपाल जग्गी के साथ कई विधायक मौजूद थे| राजनीति और प्रशासन सरकारी रथ की दो वल्गाएँ होती है | दोनों शिथिल हो रही है |सौम्यता त्याग कर “कड़क” होने के अलावा कोई चारा नहीं है |