दुनिया के दबाव में पाक ने टेके घुटने, जैश-ए-मोहम्मद के अड्डे पर सरकार का नियंत्रण

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लाहौर। बढ़ते वैश्विक दबाव के समक्ष घुटने टेकते हुए पाकिस्तान सरकार ने शुक्रवार को आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय का प्रशासनिक नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ही ली थी। बहावलपुर में है मुख्यालय पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने बताया, ‘पंजाब सरकार ने बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है।
Under the pressure of the world, Pakistan is under the control of the Government, at the base of Jake-e-Mohammed.
इस परिसर में मदरेस्सतुल साबिर और जामा-ए-मस्जिद सुभानल्लाह स्थित हैं और इसके कामकाज के प्रबंधन के लिए प्रशासक भी नियुक्त कर दिया है।’ बहावलपुर लाहौर से 400 किमी दूर स्थित है। जैश-ए-मोहम्मद के इस मुख्यालय परिसर में स्थित इस्लामिक मदरसे में 70 शिक्षक हैं और वहां करीब 600 छात्र इस्लाम की तालीम हासिल कर रहे हैं। इमरान की अध्यक्षता में बैठक में लिया फैसला पाकिस्तान के आतंरिक मंत्रालय की ओर से जारी बयान में भी कहा गया है कि जैश के खिलाफ कार्रवाई प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में लिए गए फैसले के मुताबिक ही की गई है।

गुरुवार को ही पाकिस्तान ने 2008 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के नेतृत्व वाले जमात-उद-दावा और उसकी वित्तीय शाखा फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे पहले आतंरिक मंत्रालय ने दोनों संगठनों को निगरानी सूची में रखा हुआ था। जमात-उद-दावा को लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य संगठन माना जाता है। जून, 2014 में अमेरिका ने इसे विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया था।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की निंदा का हुआ असर पाकिस्तान ने यह कदम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा जैश-ए-मोहम्मद का नाम लेकर पुलवामा हमले की निंदा किए जाने के एक दिन बाद उठाया है। गुरुवार को ही पाकिस्तान के घनिष्ठ मित्र चीन समेत 15 देशों वाली सुरक्षा परिषद ने एक बयान जारी कर बेहद कड़े शब्दों में पुलवामा हमले को ‘जघन्य और कायराना’ आतंकी हमला करार दिया था। साथ ही परिषद ने ऐसे ‘निंदनीय कार्यों’ के साजिशकतार्ओं और वित्त पोषण करने वालों की जिम्मेदारी तय करने और दंडित किए जाने की जरूरत पर बल दिया था।