नहीं सुधरा पाक तो आतंकी राष्ट्र घोषित कराने पर जोर देगा भारत

0
407

चिदानंद राजघट्टा, वॉशिंगटन। पाकिस्तान अगर आतंकवाद को अपनी पॉलिसी के औजार के रूप में इस्तेमाल करना बंद नहीं करता तो भारत उसे आतंकवाद को प्रायोजित कराने वाला देश घोषित कराने पर जोर दे सकता है। दक्षिण एशिया के ‘परमाणु टकराव’ की तरफ बढ़ने संबंधी पश्चिमी देशों के टिप्पणीकारों की चिंता के बीच नई दिल्ली ने यह संकेत दिया है। क्षेत्र में परमाणु टकराव की चिंताओं को खारिज करते हुए नई दिल्ली ने तमाम वातार्कारों से यह भी कहा है कि क्षेत्र में मौजूदा तनाव के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है और भारत परमाणु बम की आड़ में इस्लामाबाद द्वारा आतंकवाद के इस्तेमाल के जरिए ब्लैकमेलिंग नहीं होने देगा।

पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर आत्मघाती हमले और उसके बाद के घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि में एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी ने वॉशिंगटन में कहा, ‘अब नया मानदंड है… अब हम जवाब देंगे (अगर कोई आतंकी हमला हुआ तो)।’ अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान का परमाणु बम का झांसा चलने वाला नहीं है। उन्होंने यह भी दावा किया कि नई दिल्ली के रुख को अमेरिका समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन हासिल है।

भारत के वरिष्ठ अधिकारी की यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जब अमेरिकी मीडिया में इस तरह की टिप्पणियों और संपादकीयों की बाढ़ आई हुई है कि दक्षिण एशिया परमाणु टकराव की तरफ बढ़ रहा है और दूसरी ओर, उत्तर कोरिया के साथ ‘परमाणु तनाव’ कम करने की अमेरिकी कोशिशें भी रंग लाती नजर नहीं आ रहीं।

न्यू यॉर्क टाइम्स में शुक्रवार को ळँ्र२ क२ हँी१ी ं ठ४ू’ीं१ ए७ूँंल्लॅी क२ टङ्म२३ छ्र‘ी’८. (क३ह्ण२ ठङ्म३ ठङ्म१३ँ ङङ्म१ीं.) शीर्षक से संपादकीय छपा, यानी ‘इस जगह पर बहुत मुमकिन है परमाणु युद्ध’। संपादकीय के शीर्षक में ही कोष्ठक में यह भी लिखा गया है कि ‘यह उत्तर कोरिया नहीं’ है। इसी तरह, वॉल स्ट्रीट जर्नल में भी एक आर्टिकल इस शीर्षक से छपा है, ‘भारत और पाकिस्तान परमाणु त्रासदी से खेल रहे हैं।’ लॉस ऐंजिलिस टाइम्स ने भी इसी तरह लिखा है कि क्यों भारत-पाकिस्तान की शत्रुता का अगला चरण बहुत भयावह हो सकता है। ब्लूमबर्ग में भी ऐसी ही आशंका जाहिर की गई है कि भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध हो सकता है।

परमाणु टकराव की आशंकाओं के बीच भारत इस रुख पर कायम है कि मौजूदा संकट के लिए पाकिस्तान द्वारा कश्मीर को राजनीतिक अशांति की तरफ ढकेलने के लिए लगातार आतंकवाद का इस्तेमाल करना जिम्मेदार है। भारत का कहना है कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद का इस्तेमाल नहीं करता तो कश्मीर समस्या आंतरिक तौर पर ही हल हो चुका होता। अधिकारी ने कहा, ‘अगर उकसावा बंद होता है तो, आतंकवाद भी खत्म हो जाएगा।’ इस तरह उन्होंने यह भी इशारा किया कि कश्मीर में कुछ आतंकी ऐसे भी हैं जो वहीं के हैं।

अधिकारी की ब्रीफिंग से यह भी संकेत मिलता है कि अगर इस्लामाबाद आतंकवादी समूहों के खिलाफ ‘विश्वसनीय, प्रामाणिक और तत्काल’ कदम नहीं उठाए तो भारत पाकिस्तान के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के लिए अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों पर दबाव बनाने की तैयारी में हैं।

अधिकारी ने पिछले हफ्ते आतंकी समूहों के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा कार्रवाई के दावों पर अविश्वास जाहिर किया। अधिकारी ने कहा कि अतीत में भी इस तरह की प्रतिबद्धता जताई गई थी लेकिन भारत उन्हें हमेशा से शक की निगाह से देखता आया है। इसकी वजह यह है कि जैसे ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान हटता है, पाकिस्तान फिर से आतंकवाद को संरक्षण देना शुरू कर देता है।

आतंकवाद को लेकर भारत अब पाकिस्तान की वित्तीय घेरेबंदी की कोशिशें भी कर सकता है। ऐसा लग रहा है कि भारत इस्लामाबाद को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा लोन पैकेज दिए जाने के खिलाफ पुख्ता जमीन तैयार करने में जुटा है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस वक्त बदहाली के दौर से गुजर रही है। आतंकी नेटवर्क के खिलाफ इस्लामाबाद अगर ईमानदार कार्रवाई नहीं करता है तो भारत उसे कटऋ से वित्तीय मदद का विरोध कर सकता है। इसके अलावा भारत अमेरिका के विदेश विभाग पर इस बात के लिए भी दबाव डाल सकता है कि अगर इस्लामाबाद अपने तौर-तरीकों में बदलाव नहीं लाता है तो उसे आतंकवाद को प्रायोजित करने वाला देश घोषित किया जाए।

अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान 20 सालों से वैश्विक आतंकवाद का गढ़ रहा है, वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित 132 आतंकियों और 22 आतंकी संगठनों को पनाह दी है। उन्होंने कहा, ‘हम वाकई उस दिशा में बढ़ रहे हैं…अगर यह लंबे वक्त तक जारी रहता है तो पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने के लिए पर्याप्त आधार हैं।’

भारत का स्पष्ट मत है कि पाकिस्तान को अतीत में दिए गए बेलआउट पैकेजों में से किसी का भी उसकी अर्थव्यस्था में सुधार के रूप में नतीजा नहीं निकला। इस वजह से कटऋ को एक अन्य बेलआउट पैकेज नहीं मिलना चाहिए।

अधिकारी ने इस बात पर संतुष्टि भी जताई कि अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मौजूदा टकराव में भारत के रुख का यह कहकर समर्थन किया है कि पुलवामा अटैक के बाद नई दिल्ली को ‘काउंटर-टेररिजम ऐक्शन’ के तौर पर जवाबी कार्रवाई का हक है।