इस साल होलिका दहन का यह है शुभ मुहूर्त

0
1632

भोपाल । होली का उत्सव धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से बहुत ही महत्व रखता है। इसमें ह्यनवान्नेष्टि यज्ञह्ण भी सम्पन्न होता है। जनता में होली दण्ड और प्रह्लाद के नाम से भी जाना जाता है किन्तु वास्तव में यह ह्यनवान्नेष्टि यज्ञ का स्तम्भ है। होली जहां एक ओर पौराणिक और धार्मिक त्योहार है, वहीं यह रंगों का सामाजिक त्योहार भी है। इस दिन आम्रमंजरी तथा चन्दन को मिलाकर खाने का बड़ा माहात्म्य है। होली के उत्सव से एक दिन पहले होलिका की पूजा और फिर दहन किया जाता है जिसे समाज और राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। आइए जानें इस साल होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है साथ ही जानें होलिका पूजा विधि एवं कथा
This year is the auspicious time of Holika Dahan

होलिका दहन पूजाविधि
लोगों को चाहिए कि वे फाल्गुन शुक्ला पूर्णिमा को प्रात: नहाकर होलिका व्रत का संकल्प करें। दोपहर में होलिका दहन स्थान को पवित्र जल से शुद्ध कर लें उसमें लकड़ी, सूखे उपले और सूखे कांटे डालें। शाम के समय उसकी पूजा करें। होलिका की तीन परिक्रमा लगाएं- अर्घ्य दें। घर से लाए हुए जौ, गेहूं, चने की बालों को होली की ज्वाला में भूने और होली की अग्नि और भस्म लेकर घर आएं और पूजा वाली जगह रखें।

होलिका दहन कथा
हिरण्यकश्यप की बहन, जो स्वयं आग से नहीं जलती थी, अपने भाई के बहकावे में आकर भक्त प्रहलाद को जीवित जलाने के लिए गोदी में लेकर आग में बैठ गई। भगवान की कृपा से होलिका जलकर राख हो गई लेकिन भक्त प्रहलाद को आंच भी नहीं आई। अन्त में हिरण्यकश्यप मारा गया।
इस समय नया धान (जौ, गेहूं और चने) पककर तैयार हो जाता है। और हिन्दू धर्म में कोई भी चीज पहले भगवान को अर्पण की जाती है। इसलिए आज के दिन किसान अग्नि में नए अन्न को भगवान को समर्पित करते हैं।
प्राचीन काल में बसंत ऋतु के आगमन के समय ऋतुराज का स्वागत मदनोत्सव के रूप में होता था।
होलिका दहन मुहूर्त:
प्रदोष-व्यापिनी फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल में होलिका-दहन किया जाता है। इसमें भद्रा वर्जित है। इस वर्ष विक्रम संवत 2076 में फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 20 मार्च बुधवार को सुबह 10 बजकर 44 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन 21 मार्च बृहस्पतिवार को प्रात: 7 बजकर 12 मिनट तक विद्यमान रहेगी। प्रदोष व्यापिनी निशामुखी पूर्णिमा 20 मार्च बुधवार को है। अत: होलिका दहन 20 मार्च को ही सर्वमान्य रहेगा।
यहां जली थी होलिका, इस स्थान पर प्रगट हुए थे भगवान नृसिंह
ध्यान रहे होलिका दहन वाले दिन भद्रा भी सुबह 11 बजे से रात्रि 8 बजकर 50 मिनट तक रहेगी। इसलिए रात्रि 9 बजे से 10 बजे तक भद्रा मुक्त काल में होलिका दहन समग्र राष्ट्र तथा समाज के लिए कल्याणकारी सिद्ध होगा।
21 मार्च बृहस्पतिवार सन 2019 ई॰ को प्रात: 7 बजकर 12 मिनट तक उदयकाल में पूर्णिमा होने के कारण चैतन्य महाप्रभु जयंती, दारूणरात्रि हुताशनी, अष्टाह्निक जैन व्रत समापन, होलाष्टक समाप्त, होलिका धूली धारण, धुलैण्डी, होलामहोत्सव परंपरानुसार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।