Article 35A को नेहरू ने चुपके से जोड़ा, रुका J-K का विकास: अरुण जेटली

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केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में अनुच्छेद 35-ए को कश्मीर की मौजूदा परिस्थितियों के लिए जिम्मेदार ठहराया है. साथ ही उन्होंने इसके लिए नेहरू को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने  ब्लॉग में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर निशाना साधते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के संबंध में नेहरू के दृष्टिकोण ठीक नहीं थे. अब समय आ गया है कि हम विशेष दर्जे से अलगाव तक की यात्रा को विराम दें. अरुण जेटली ने कहा 1954 में ‘अनुच्छेद 35A संविधान में चुपके से  जोड़ा गया था. इससे राज्य में निवेश और रोजगार सृजन रुक गया और इसका खामियाजा राज्य की जनता को भुगतना पड़ रहा है.’

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अनुच्छेद 35-ए को किसी संविधान संशोधन के जरिए नहीं लाया गया था. 35 ए दो नागरिकों में भेदभाव की अनुमति देता है. प्रदेश से बाहर के नागरिक नागरिक वहां संपत्ति नहीं खरीद सकते. उनके बच्चों को कॉलेजों में दाखिला नहीं मिल सकता. उनको सरकारी नौकरियां नहीं मिल सकतीं. और जो वहां असेंबली के, म्यूनिसिपैलिटी के और पंचायत के चुनाव में वोट भी नहीं डाल सकते. इसका असर यह हुआ कि बाहर से कोई आर्थिक साधन लगाने वाला नहीं था. कोई नए कॉलेज नहीं बने, कोई प्राइवेट यूनिवर्सिटी नहीं बनीं. उद्योग नहीं लगे. कोई उद्योग नहीं लगे. कोई इतने बड़े पर्यटन के केंद्र में कोई होटल चेंज इस प्रकार का नहीं हुआ. इसकी वजह से अर्थव्यवस्था भी सिकुड़ी रही. और इसकी वजह से जो नई नौकरियां, जॉब क्रिएशन होना था, राज्य के अंदर नहीं हुआ. इसका सबसे बड़ा नुकसान जो हुआ राज्य की जनता को हुआ. जबकि राज्य के अंदर आर्थिक साधन बहुत कम हैं.

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पिछले सात दशकों में जम्मू और कश्मीर की स्थिति कई सवाल खड़े करती है. क्या नेहरू की नीति इतिहास की सबसे बड़ी भूल थी या उनका सही कदम था जिसका बाद में अनुसरण किया गया. अधिकांश भारतीयों का मानना है कि इसके पीछे नेहरू का दृष्टिकोण जिम्मेदार है.

क्या देश की नीति को पुराने ढर्रे पर चलना होगा या हमें वास्तविक यथास्थिति के हिसाब से तालमेल बिठाना होगा.

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने यह भी बताया है कि किस तरह अनुच्छेद 35-ए जम्मू और कश्मीर को लोगों को नुकसान पहुंचाता है.

उन्होंने कहा, ‘राज्य के पास पर्याप्त आर्थिक संसाधन नहीं हैं. इसे बढ़ाने पर अगर जोर दें तो अनुच्छेद 35-ए बाधक है. कोई भी निवेशक राज्य में इंडस्ट्री, होटल, प्राइवेट शिक्षण संस्थान, या प्राइवेट अस्पताल नहीं स्थापित करना चाहता. इसके पीछे वजह यह है कि न तो कई यहां जमीन खरीद सकता है न ही अपने किसी कार्यवाहक से ऐसा काम करा सकता है. उनके बच्चे को यहां न सरकारी नौकरी मिल सकती है न ही किसी शिक्षण संस्था में प्रवेश मिल सकता है. आज के दौर में वहां कोई प्रमुख राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्था पर्यटन के क्षेत्र में निवेश नहीं कर पा रही है जबकि वहां संसाधनों की भरमार है. ऐसी वजहें राज्य की समृद्धि, संसाधन और रोजगार सृजन रोकती हैं.’

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘विद्यार्थियों को पूरे देश में भ्रमण करना पड़ता है. यहां के विद्यार्थी नेपाल और बांग्लादेश जाते हैं जिससे उन्हें कॉलेजों में दाखिला मिल सके. इंजीनियरिंग कॉलेज, अस्पताल और सुविधा संपन्न संसाधन जम्मू में पड़े हैं जिनका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है क्योंकि प्रोफेसर और डॉक्टर्स वहां जाना ही नहीं चाहते. अनुच्छेद 35-ए ने राज्य की अर्थव्यस्था को बर्बाद कर दिया है.’ केंद्रीय मंत्री ने अरुण जेटली ने आतंकवाद का अब खात्मा हो रहा है. आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ाने वाली संस्थाओं को बैन किया जा रहा है.

केंद्रीय मंत्री ने मौजूदा केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि इस दौरान आतंकियों को मारा गया. दो मुख्य राजनीतिक पार्टियां केवल टीवी चैनलों को बाइट दे रही हैं. उनका काम सोशल मीडिया तक ही सीमित है. अब जम्मू और कश्मीर की जनता केंद्र सरकार के पहल का स्वागत कर रहे हैं. वे शांति चाहते हैं, आतंक और हिंसा से मुक्ति चाहते हैं.

केंद्रीय मंत्री ने अरुण जेटली ने  आतंकवाद का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकवाद का अब खात्मा हो रहा है. आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ाने वाली संस्थाओं को बैन किया जा रहा है.

केंद्रीय मंत्री ने मौजूदा केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि इस दौरान आतंकियों को मारा गया. दो मुख्य राजनीतिक पार्टियां केवल टीवी चैनलों को बाइट दे रही हैं. उनका काम सोशल मीडिया तक ही सीमित है. अब जम्मू और कश्मीर की जनता केंद्र सरकार के पहल का स्वागत कर रहे हैं. वे शांति चाहते हैं, आतंक और हिंसा से मुक्ति चाहते हैं. अब राज्य में कानून का साम्राज्य स्थापित है और लोगों की सुरक्षा को पुष्ट किया जा रहा है.