पंकज
लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने भले ही प्रत्याशियों के चयन में समय लिया हो लेकिन प्रदेश में संगठन के स्तर चुनाव अभियान तेजी से आकार ले रहा है। प्रदेश भाजपा संगठन के कई नेता जब चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं ऐसे में प्रदेश उपाध्यक्ष विजेश लूनावत ही केंद्रीय और राज्य संगठन के मध्य संपर्क सेतु हैं। वे ही केंद्रीय संगठन की योजना और दृष्टि को मप्र में क्रियान्वित कर रही टीम के मुखिया है। प्रचार रणनीति हो, दिल्ली से मिले निर्देशों को क्रियान्वित करना हो या चुनाव आयोग में कांग्रेस के खिलाफ शिकायत करनी हो, लूनावत प्रदेश भाजपा के हर कार्य की धुरी हैं।
2003 में कांग्रेस सरकार के खिलाफ जनमत हासिल कर सत्ता में आई भाजपा के चुनाव अभियान के सूत्रधार संघ विचारक अनिल माधव दवे थे। दवे ही लगातार 3 चुनावों में पार्टी के थिंक टैंक की भूमिका निभाते रहे। 2014 में भी उन्होंने भाजपा की चुनावी रणनीति बनाई थी। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव और अब लोकसभा चुनाव में भाजपा दवे की अनुपस्थिति को महसूस कर रही है। मगर दवे की जगह को काफी हद तक उनके साथ हर चुनाव व कार्यक्रमों में कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाले प्रदेश उपाध्यक्ष विजेश लूनावत ने भरा है। दवे बड़े आयोजनों को सरलता से रच देने तथा चुनाव प्रबंधन के कुशल रणनीतिकार रहे हैं। लूनावत ने उतनी ही सहजता से ऐसे आयोजनों का संचालन सूत्र संभाला है। फिर चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सहित अन्य नेताओं के प्रदेश में दौरों का प्रबंधन हो या चुनाव अभियान का संचालन।
विधानसभा चुनाव में उम्मीद के विपरीत भाजपा को मिली पराजय के बाद ही कई खेमों में बंटा भाजपा प्रदेश संगठन वर्चस्व और स्पर्धा के संघर्ष से गुजर रहा है। पायेदार नेताओं के अपने गुट और अपने एजेंडे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने मिल कर कुछ लोकसभा क्षेत्रों में दौरे किए लेकिन यह सिलसिला बहुत दिनों तक जारी न रह सका। ऐसे समय में जब प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जैसे नेता स्वयं चुनाव मैदान में हैं और कई अन्य नेता भी टिकट की आस लगाए बैठे हैं, लूनावत ही वह चेहरा है जो कुशलता से सभी धड़ों में समन्वय का कार्य कर सकता है।
वे अपने कौशल और प्रबंधन शैली के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति योजना का हिस्सा बने हैं। यही कारण है कि उन्हें मप्र में केंद्रीय संगठन के निर्देशों व योजनाओं के क्रियान्वयन का समन्वयक माना जाता है। वे ही भाजपा की आक्रामक प्रचार नीति तथा कांग्रेस व कमलनाथ सरकार पर पार्टी की ओर से किए जा रहे तीखे हमलों की रचना कर रहे हैं। लूनावत के साथ अपनी युवा टीम तो है ही, वरिष्ठ नेताओं से समन्वय का अनुभव भी है। ऐसे समय में जब कांग्रेस 2014 की अपनी दो सीटों की जीत से आगे इस चुनाव में दो अंकों तक पहुंचने की रणनीति को कामयाब बनाने में जुटी है लूनावत पर भाजपा के ‘वार रूम’ का बड़ा दायित्व है।