सरकार ने कारोबारियों को दी राहत: बनाया आइटी शिकायत निवारण तंत्र

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नई दिल्ली। जीएसटीएन पोर्टल की खामियों के चलते परेशानी का सामना कर रहे कारोबारियों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। केंद्र ने ऐसे करदाताओं की दिक्कत दूर करने के लिए आइटी शिकायत निवारण तंत्र बनाया है। सरकार के इस कदम के बाद अब ऐसे करदाता भी अपना ट्रान-1 फॉर्म (ट्रांजीशनल क्रेडिट के लिए) जमा कर सकेंगे, जो जीएसटी पोर्टल में गड़बड़ी की वजह से ऐसा नहीं कर पाए हैं। ऐसे करदाताओं के लिए ट्रान-1 फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि भी बढ़ाकर 30 अप्रैल 2018 कर दी गई है।

ट्रान-1 फॉर्म उन व्यापारियों को भरना था जिन्हें एक जुलाई 2017 से पूर्व की अवधि के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट लेना चाहते थे। हालांकि जीएसटी पोर्टल की तकनीकी गड़बड़ी के चलते ये कारोबारी ऐसा नहीं कर सके। इसीलिए अब इन्हें यह राहत दी गयी है। वित्त मंत्रालय का मानना है कि सरकार के इस निर्णय से 17,573 करदाताओं को फायदा होगा और वे 2,583 करोड़ रुपये सीजीएसटी क्रेडिट और 1,112 करोड़ रुपये एसजीएसटी क्रेडिट ले सकेंगे।

वेबटेल इलेक्ट्रोसॉफ्ट प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर राजेन्द्र कपूर ने कहा कि देर से उठाया लेकिन सही दिशा में कदम है। अब शिकायत सही जगह पहुंचेगी और सही जगह पर उसका समाधान मिल जाएगा। फॉर्म ट्रान-1 अपलोड करने में बहुत से लोगों को दिक्कत आई थी। आइटी हेल्प डेस्क इसका समाधान नहीं कर पा रहा था, इसलिए सरकार को आइटी शिकायत निवारण तंत्र बनाना पड़ा।

वित्त मंत्रालय के अनुसार जीएसटी पोर्टल की तकनीकी खामियों के चलते कारोबारियों को हो रही परेशानी को दूर करने के लिए सरकार ने आइटी से जुड़ी शिकायतों के निवारण के लिए एक तंत्र स्थापित किया है। जीएसटी काउंसिल ने आइटी शिकायत निवारण समिति को करदाताओं की शिकायत पर विचार करने और जरूरी कदम उठाने की सिफारिश जीएसटी नेटवर्क से करने की शक्तियां दी हैं।

यह राहत मिलने के बाद करदाताओं को पूर्व में दाखिल किए गए रिटर्न में संशोधन करने और विशेष परिस्थितियों में अंतिम तिथि के बाद में भी रिटर्न दाखिल करने की अनुमति होगी। हालांकि बिजली आपूर्ति बाधित होने या इंटरनेट की उपलब्धता न होने जैसे स्थानीय मुद्दों की वजह से अगर किसी करदाता से संबंधित व्यक्तिगत समस्या का इस तंत्र के तहत समाधान नहीं होगा।

मंत्रालय के मुताबिक इस तंत्र में यह प्रावधान भी किया गया है कि करदाताओं को फील्ड अधिकारियों या नोडल अधिकारियों को कॉमन पोर्टल की गड़बड़ी के बारे में बताते हुए एक आवेदन देना होगा ताकि यह साबित किया जा सके कि गड़बड़ी के चलते करदाता रिटर्न दाखिल नहीं कर सका। इसके बाद शिकायत निवारण समिति जरूरी हल सुझाएगी।