- शशी कुमार, केसवानी
नई दिल्ली। जेट एयरवेज के बंद होने से करीब 22 हजार लोगों की नौकरियां प्रभावित हुई हैं। स्किल्ड से लेकर सेमी-स्किल्ड तक, आज जेट के तमाम कर्मचारी परेशान हैं। कर्मचारियों के सामने अब आजीविका की समस्या खड़ी हो गई है। जेट एयरवेज के बंद होने से प्रभावित कर्मी दिल्ली में जुटे, जहां उन्होंने ‘जेट को बचाओ, हमारे परिवार को बचाओ’ के नारे लगाए।
विचार करने योग्य चीज यहां है सरकार हमेशा कह रही है कि हमारी सारी एयरलाइंस है, जब नरेश गोयल की जिद की वजह से कंपनी डूबना शुरू हुई तो सरकार की नजर कहां थी। एसबीआई से भारी लोन लेकर कंपनी चल रही थी तब भी सरकार की नींद नहीं खुली क्या। या फिर सरकार किसी अन्य एयरलाइंस को ऊपर करने में लगी हुई थी। हालांकि विदेशी कई एयरलाइंस कंपनियां जेट पर अपना हिस्सेदारी बढ़ाकर कंपनी को बचाना चाह रही थी तब नरेश गोयल की जिद के आगे कंपनी में आसमान से जमीन पर आ गई। 22 हजार कर्मचारियों का जीवन भी दांव पर लग गया। अब भी समय है। सरकार इस डूबते हुए जेट को बचा सकती है पर सरकार ने चुप्पी साध रखी है।
इनकी सुध लो सरकार
हालात इतने बुरे है कि चार-चार महीने तक वेतन नहीं मिला है, जिसके चलते कोई अपने बच्चे की फीस नहीं भर पाया तो किसी ने कम्यूनिटी ने डिफाल्टर घोषित किया है। जेट की एक एयर होस्टेज ने बताया कि उसने बैंक से लोन लेकर कोर्स किया है। अब उसे कैसे वापिस करेगी। इस तरह से हर कर्मचारी की अपनी एक समस्या है। अधिकतर एयर होस्टेज महंगा कोर्स करके कंपनियों में आती है पर अच्छा भविष्य न होने से जीवन में कई तरह के अंधकार आ जाते है, जिसके सीधे तौर पर जिम्मेदार कंपनियां और सरकार रहती है पर अब इन 22 हजार कर्मचारियों के जीवन के बारे में तो कोई निर्णय लेना ही होगा।