रीवा
सूचना के अधिकार (आरटीआई) को लेकर आपने कई तरह की खबरें पढ़ी होंगी। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि इसका इस्तेमाल कोई पति अपनी पत्नी की छुट्टी की जानकारी हासिल करने के लिए कर सकता है? जी हां, कुछ ऐसी ही खबर मध्य प्रदेश के रीवा से आई है, जहां एक पति ने अपनी पत्नी से अनबन के बाद फळक दाखिल कर उसकी छुट्टी की जानकारी मांगी है।
मामले में प्रथम अपीलीय अधिकारी ने पति को पत्नी की छुट्टी की जानकारी देने का आदेश भी दे दिया। लेकिन, पत्नी ने प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश पर आपत्ति दाखिल की, जिस पर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने मामले को जनहित का मामला नहीं होने के कारण बताया और प्रथम अपीलीय अधिकारी के जानकारी देने का आदेश निरस्त कर दिया।
क्या है मामला-
मध्य प्रदेश के रीवा की रहने वाली अमृता शुक्ला रीवा में पटवारी हैं। अमृता के पति छितिन्द्र मोहन मिश्रा भोपाल में सहायक वर्ग 3 कार्यालय, विकास आयुक्त विध्यांचल भवन में पदस्थ हैं। शादी के कुछ दिन बाद से ही दोनों में अनबन चल रही थी। इस दौरान छितिन्द्र ने अपनी पत्नी की छुट्टियों की जानकारी के लिए संबंधित विभाग में आरटीआई लगा दी। मामले में प्रथम अपीलीय अधिकारी अनुविभागीय अधिकारी ने पति को पत्नी की छुट्टी की जानकारी दिए जाने का आदेश दे दिया।
इसके बाद पत्नी ने राज्य सूचना आयोग में आपत्ति दाखिल की, जिसकी सुनावाई करते हुए सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि मामला जनहित से जुड़ा हुआ नहीं है। मामले में सूचना आयोग ने पत्नी की छुट्टी की जानकारी पति को देने के आदेश पर रोक लगा दी। आयोग ने कहा कि आयोग का काम घरेलू झगड़ों के चलते कर्मचारियों की निजी जानकारी उपलब्ध कराना नहीं है। साथ ही आयोग ने मामले में प्रथम अपीलीय अधिकारी को भविष्य में सावधानी बरतने का निर्देश भी दिया है।
सूचना आयोग ने कहा है कि प्रतिवादीगण की ओर से मांगी गई जानकारी लोकहित की ना होकर कर्मचारी की निजी जिंदगी से संबंधित है। घरेलू झगड़ों के चलते कर्मचारियों की निजी जानकारी उपलब्ध कराना आयोग का काम नहीं है।
सूचना आयुक्त ने कहा कि प्रथम अपीलीय अधिकारी ने इस मामले की सुनवाई में पूरी तरह सूचना के अधिकार के सेक्शन 11 को नजरअंदाज कर गंभीर चूक की। सरकारी तंत्र में पारदर्शिता रहनी चाहिए, लेकिन जनहित से परे अनावश्क जानकारी देने में सरकार के समय और संसाधन दोनों का नुकसान है।