नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राफेल डील मामले में दायर पुनर्विचार याचिकाओं और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ दायर अवमानना मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया। शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में दोनों मामलों की एक साथ लिस्टिंग की थी।
पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र ने कोर्ट से डील से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां छिपाईं, ऐसे में अदालत ने पिछला फैसला गलत और अधूरी जानकारी पर आधारित था। प्रशांत भूषण ने राफेल डील में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा की जाने वाली समानांतर बातचीत पर भी सवाल उठाया।
14 दिसंबर के फैसले के खिलाफ दायर की गईं हैं याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2018 के फैसले में राफेल डील को तय प्रक्रिया के तहत होना बताया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने डील के दस्तावेजों के आधार पर इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं दायर की थीं। इनमें कुछ गोपनीय दस्तावेजों की फोटो कॉपी लगाई गई थीं। इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र की ओर से आपत्ति दर्ज कराई थी।
वेणुगोपाल ने कहा था कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 के तहत विशेषाधिकार वाले गोपनीय दस्तावेजों की प्रतियों को पुनर्विचार याचिका का आधार नहीं बनाया जा सकता।, हालांकि, सुप्रीम कोर्ट इन दस्तावेजों के आधार पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो गई थी।
राहुल ने कहा था- कोर्ट ने माना चौकीदार चोर है
शीर्ष अदालत राफेल डील के लीक दस्तावेजों को सबूत मानकर मामले की दोबारा सुनवाई के लिए तैयार हो गई थी। इस फैसले पर राहुल ने कहा था कि कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार ने ही चोरी की है। अवमानना याचिका भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने दायर की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल को नोटिस जारी किए बिना जवाब मांगा था। कांग्रेस अध्यक्ष ने पहले दो हलफनामों में सिर्फ खेद जताया था। लेकिन कोर्ट की फटकार के बाद उन्होंने तीसरे हलफनामे में बिना शर्त माफी मांगी थी।