नई दिल्ली
ITR-1 फॉर्म का इस्तेमाल वेतनभोगी कर्मचारियों द्वारा आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करने में सबसे ज्यादा किया जाता है। अब यह फॉर्म आईटी विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। आप वित्त वर्ष 2018-19 के लिए नियोक्ता द्वारा फॉर्म-16 मिलते ही आसानी से अपना ITR फाइल कर सकते हैं।
ITR-1 न सिर्फ पिछले साल से अलग है, बल्कि फॉर्म-16 में भी इस साल बदलाव किए गए हैं। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) की तरफ से जारी अधिसूचना के मुताबिक, फॉर्म-16 में विस्तृत जानकारी होगी। इसमें आपकी कंपनी द्वारा दिए जाने वाले टैक्स-एग्जेम्प्ट अलाउंस और आपके द्वारा क्लेम व कंपनी द्वारा डिक्लेयर सैलरी इनकम डिडक्शन के ब्रेक-अप की विस्तृत जानकारी होगी। हालांकि, पिछले साल से उलट आपको सैलरी स्लिप की जरूरत नहीं होगी क्योंकि ITR-1 और फॉर्म-16 को मिला दिया गया है, जिससे आपको डिटेल्स भरने में आसानी होगी। जब आप वित्त वर्ष 2018-19 में ITR-1 में अपनी सैलरी का ब्यौरा भरेंगे तो आपके लिए ये बातें जाननी होंगी बेहद जरूरी
इस साल, ITR-1 में आप अपनी सैलरी इनकम की डिटेल चार सब-हेड में भरेंगे।
A. ग्रॉस सैलरी
B.सेक्शन 10 के तहत भत्ते में मिलने वाली छूट
C. नेट सैलरी (a-b)
D. सेक्शन 16 के तहत छूट
इन सारे सब-हेड के अंतर्गत डेटा भरने के बाद, पांचवां सब हेड -( हेड सैलरी के अंतर्गत चार्जेबल इनकम) अपने आप कैलुकेट कर लिया जाएगा।
A) ग्रॉस सैलरी
यह तीन हिस्सों में बंटा हुआ है
1. सेक्शन 17(1) के तहत आने वाली सैलरी
2. सेक्शन 17(2) के अनुलाभ का मूल्य
3. सेक्शन 17 (3) के तहत सैलरी पर प्रॉफिट
ITR-1 के लिए जरूरी सूचना को फॉर्म-16 के पार्ट-B में पाया जा सकता है। फॉर्म-16 का पार्ट-B ‘ग्रॉस सैलरी’ से शुरू होता है। इस सब-हेड में दिए गए ब्रेक-अप वही होते हैं जो कि ITR-1 में पूछे जाते हैं। आपको सिर्फ इसे कॉपी करके के ITR-1 में भरने की जरूरत होती है।
B) सेक्शन 10 के तहत भत्ते में छूट
इस सेक्शन में नियोक्ता द्वारा आपको टैक्स में पूरी और आंशिक छूट वाले भत्ते की जानकारी होती है, चाहे वह हाउस रेंट अलाउंस हो या ट्रैवल अलाउंस। ITR-1 फॉर्म में आपको सिर्फ उसी अलाउंस को भरना होता है जो कि पूरी तरह या आंशिक रूप से टैक्स-फ्री हो। यह जानकारी फॉर्म-16 के पार्ट-B में सब हेड ‘अलाउंसेज’ में उपलब्ध होती है।’
C) नेट सैलरी
जब आप ऊपर मौजूद सब-हेड्स में डिटेल्स भर देते हैं, तब ITR का सॉफ्टवेयर आपकी नेट सैलरी को कैलकुलेट कर लेता है। यह अमाउंट फॉर्म-16 में दर्ज आपकी नेट सैलरी से मैच करनी चाहिए।
D) सेक्शन 16 के तहत डिडक्शन
नेट सैलरी कैलकुलेट होने के बाद आपको डिडक्शन क्लेम करना होता है। सेक्शन 80C, सेक्शन 80D के तहत आने वाले डिडक्शन के उलट सेक्शन 16 के तहत आने वाले डिडक्शन आप तभी क्लेम कर सकते हैं अगर आपके पास सैलरी या पेंशन के तहत इनकम है। ये डिडक्शन इस प्रकार हैं…
A)स्टैंडर्ड डिडक्शन
B) एंटरटेनमेंट डिडक्शन
C) एम्प्लॉयमेंट/प्रफेशनल टैक्स
ये सारे डिडक्शन आपके फॉर्म-16 के पार्ट-B में दर्ज होंगे। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आपका 40,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन उपलब्ध रहेगा। एंटरटेनमेंट अलाउंस पर डिडक्शन सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए होता है। अगर आपने राज्य सरकार को कोई प्रफेशनल टैक्स भरा है, तो टैक्स अमाउंट को डिडक्शन के रूप में क्लेम किया जा सकता है।
E) सैलरीज सब हेड के तहत आने वाला इनकम
सभी डिटेल्स भर लिए जाने के बाद ITR के सॉफ्टवेयर में हेड सैलरी में चार्ज होने वाला इनकम अपनेआप कैलकुलेट हो जाएगा। ऑटो-कैलकुलेटड फिगर आपके फॉर्म-16 में दर्ज अमाउंट से मैच होना चाहिए।