किसानों पर फिर टूटा कहर, केंद्रों पर सैकड़ों मीट्रिक टन गेहूं भीगा

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मंडीदीप। नगर सहित आसपास के बनाए गए 27 समर्थन मूल्य खरीदी केंद्रों पर खुले आसमान के नीचे रखा सैकड़ों मीट्रिक टन गेहूं भीग गया है। इस बात की जानकारी जिम्मेदार अधिकारियों को है ही नहीं। कई अधिकारी यह कह रहे हैं कि बारिश हुई ही नहीं तो कुछ यह कह रहे हैं कि बारिश की जानकारी नहीं है। जबकि हकीकत है यह कि इन केंद्रों पर पड़ा सैकड़ों मीट्रिक टन गेहूं भीग गया है।

मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात आंधी के साथ बारिश हुई थी। इससे समर्थन मूल्य खरीदी केंद्रों पर खुले में रखा सैकड़ों मीट्रिक टन गेहूं भीग गया है। वहीं तुलाई के इंतजार में अपनी उपज लेकर आए कई किसानों की उपज भी भीग गई है। किसानों का कहना है कि इन केंद्रों पर गेहूं को बारिश से बचाने के कोई इंतजाम नहीं हैं। यही नहीं रात के समय केंद्रों पर कोई रहता भी नहीं हैं।

सुखाने के बाद परिवहन
मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात हुई बारिश की भेंट चढ़े गेहूं को बुधवार के दिन सुखाने के प्रयास किए गए। दरअसल, क्षेत्र में परिवहन की सुस्त चाल के चलते खरीदी केंद्रों पर हजारों क्विंटल गेंहू पड़ा हुआ है। भीगने के बाद गेहूं का रंग फीका हो जाता है। बताया जाता है कि किसानों ने अपने गेहूं को पानी से बचाने के प्रयास किए। लेकिन, तुलाई केंद्रों पर रात में कोई नहीं रहता।

अगर जवाबदार होते तो सरकारी गेहूं बारिश की भेंट चढ़ने से बच सकता था। बताया जाता है की केंद्र प्रभारियों ने भीगे हुए गेहूं को सुखाने के बाद वेयर हाउस मे पहुंचाया। जानकार बताते हैं की अगर अधिक भीगा हुआ गेंहू बारदाने से नमी पाकर अंकुरित हो सकता है या फिर काला भी पड़ सकता है। किसान नेता आगा खान ने बताया की इस लापरवाही के चलते सरकार को नुकसान हुआ तो इसकी जवाबदारी शासन को तय करना चाहिए। इस बारे मे जिम्मेदार अधिकारियो से पूछने पर उन्होंने बताया की हमें पानी गिरने की जानकारी नहीं है

रखने की नहीं है जगह
क्षेत्र के गोदामों में बीते साल का गेहूं अब तक रखा है। इस कारण अधिकतर वेयर हाउस भरे हैं। अब सरकार के सामने गेहूं सहित समर्थन मूल्य की अन्य जिंसो के भंडारण की समस्या पैदा हो गई है। सरकार ने 1735 रुपए गेहूं का समर्थन मूल्य रखा है। इसके साथ ही 265 रुपए प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा से तुलाई केंद्रों पर किसानों की भीड़ लग रही है। बताया जाता है की खुले बाजार से अधिक दाम किसानों को समर्थन मूल्य पर मिल रहे हैं। इस कारण पिछले साल से अधिक खरीदी का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसे में भंडारण के सही इंतजाम न होने के कारण स्थिति बिगड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।