भारत का करीब दो तिहाई हिस्सा लू की चपेट में, दो दिन और यही हाल रहा तो टूटेंगे अबतक के सारे रिकॉर्ड

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नई दिल्ली

भारत का करीब दो तिहाई हिस्सा  लू की चपेट में रहा। गर्मी पहले के मुकाबले इस बार अधिक लंबे समय तक चल रही है। जिसके कारण कई लोगों की मौत की खबर भी आई। इसके अलावा पानी की समस्या उत्पन्न हो गई, हजारों पर्यटक गर्मी से राहत के लिए पहाड़ी इलाकों में जा रहे हैं, लेकिन इस बार इन इलाकों में भी तापमान अधिक है। उत्तरी, मध्य और प्रायद्वीपीय भारत के बड़े क्षेत्रों में पारा 45 डिग्री के स्तर को पार कर गया है।

उत्तर प्रदेश के झांसी, राजस्थान के चूरू और बीकानेर, हरियाणा के हिसार और भिवानी, पंजाब के पटियाला और मध्यप्रदेश के भोपाल और ग्वालियर में गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। वहीं अगर राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां सोमवार इतिहास का सबसे गर्म दिन रहा। इस दिन यहां पारा 48 डिग्री सेल्सियस था। दिल्ली के पालम में सुबह के समय हल्की बारिश होने के बावजूद भी पारा 45.4 डिग्री सेल्सियस रहा।

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चक्रवाती तूफान ‘वायु’ का असर गुजरात के अलावा अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ेगा। जिसके चलते मानसून से मिलने वाली राहत में इस बार अधिक समय लगेगा। अगर अगले दो दिनों में भी पारे में कमी नहीं आई तो 2019 में गर्म दिनों की संख्या इतिहास में सबसे अधिक होगी। इस बार लू की खतरनाक स्थिति 32 दिनों तक रही है। इससे पहले 1988 में ऐसे दिनों की संख्या 33 थी, जबकि 2016 में 32 थी।

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार लू (हीटवेव) की स्थिति तब मानी जाती है जब मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस होता है, और पहाड़ी इलाकों में अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस होता है। भीषण गर्मी के कारण घरों से बाहर निकलते ही लोगों की हालत काफी खराब हो रही है। केरल एक्सप्रेस में सवार 67 लोगों के समूह में से चार बुजुर्गों की मौत गर्मी में दम घुटने के कारण हो गई। ये लोग बिना एसी वाले कोच में आगरा घूमने के बाद वापस तमिलनाडु के कोयंबटूर जा रहे थे।

रेलवे के प्रवक्ता मनोज कुमार सिंह का कहना है कि झांसी में ट्रेन में डॉक्टरों की एक टीम ने उनकी जांच की थी, तीन लोगों की मौत सोमवार को हो गई थी जबकि एक अन्य यात्री की मौत मंगलवार को अस्पताल में हो गई। फिलहाल मौत का कारण भीषण गर्मी ही बताया जा रहा है, हालांकि पोस्टमार्टम होने के बाद ही मौत की असल वजह पर कुछ कहा जा सकता है। मौसम विभाग के वैज्ञानिकों का कहना है कि आंकड़ों का आकलन बताता है कि 1991 के बाद से लू में वृद्धि हुई है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटेरोलॉजी (आईआईटीएम) पुणे ने 1970 से 2015 के बीच के आंकड़ों का अध्ययन किया, जिससे पता चला कि गर्म दिनों और रातों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। मौसम विभाग का कहना है कि इस हफ्ते गर्मी में थोड़ी कमी देखी जा सकती है। उत्तर भारत के कई शहरों में पानी और बिजली की मांग भी बढ़ी है क्योंकि कई कुएं और जलाशय सूख गए हैं।

सोमवार को दिल्ली में बिजली की मांग ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस दौरान यहां 6,686 मेगावाट बिजली की मांग हुई है। यहां पानी का भी कोई दूसरा स्त्रोत जैसे टैंक और पाइप नहीं हैं। जिसके चलते हालात और भी खराब हैं। वहीं उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में लोगों को पानी के लिए कई किमी तक यात्रा करनी पड़ रही है। यहां कुएं सूख चुके हैं, जमीन के नीचे का पानी 300 फीट नीचे तक आ गया है, जिसके चलते हैंडपंप ने भी काम करना बंद कर दिया है।

उत्तराखंड के नैनीताल में गर्मी से राहत के लिए आने वाले पर्यटकों की औसत संख्या प्रतिदिन के हिसाब से 15 से 20 हजार हो गई है। जबकि यहां रहने के लिए कमरों की औसत संख्या महज आठ हजार है। मनाली में भी भारी संख्या में पर्यटक घूमने आ रहे हैं। जिसके चलते यहां गाड़ियों की लंबी लाइनें लग गई हैं। सोमवार को मसूरी में तापमान सामान्य से छह डिग्री अधिक 30.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। वहीं इस दिन धर्मशाला में भी अधिकतम तापमान 33.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है।