राघवेनदर
मप्र के छिंदवाड़ा जिले में मक्के की फसल बड़ी मात्रा में बोई जाती है। इसे राज्य का कार्न सेन्टर भी कहते हैं। छिंदवाड़ा कार्न सिटी के नाम से भी जाना जाता है। चिंता भरी इस खबर में अच्छी बात ये है कि ये छिंदवाड़ा मुख्यमंत्री कमलनाथ का गृह क्षेत्र है। इस वजह से आर्मी वर्म कीट के हमले से रोकथाम के लिए सरकार और किसान संगठन सक्रिय हो गए हैं। पहले साल यह मक्खी के अंडों से इल्ली नुमा कीड़ा फसलों को कम याने 25-30 प्रतिशत ही नुकसान पहुंचाएगा। लेकिन हर साल इसकी मारक क्षमता बढ़ती जाएगी। इस मामले में किसान नेता केदार शंकर सिरोही तीन चार दिन छिंदवाड़ा भी रुके और वहां मक्के की फसल को इस कीड़े से बचाने के लिए सरकारी तंत्र के साथ किसानों को जागरुक करने में लगे रहे। सिरोही के मुताबिक अभी तक जो अनुमान है इस साल लगभग 25 फीसदी ही कृषि को नुकसान होगा। इस गणित के हिसाब से लगभग 5 हजार करोड़ की फसल बचा ली जाएगी। यह सब किसानों के साथ सरकारी अमले की सजगता से होगा।
लेकिन अगले साल क्या स्थिति बनेगी या खरीफ के बाद रबी की फसल जैसे गेहुं चने और अरहर पर यह कीट कितना अटैक करेगा अभी कुछ नहीं कह सकते। जानकारी मिली है कि मक्के के साथ धान और सब्जियों पर भी इस कीट का हमला हो सकता है। मध्यप्रदेश में धान की खेती बड़े रकबे में की जाती है। इसलिए किसानों को अभी से सजग होना पड़ेगा। थोड़ी सी चूके उनकी फसलों को तबाह कर सकती है। किसान और उनके संगठन,कृषि विस्तार अधिकारी के साथ जनप्रतिनिधियों मसलन विधायक, सांसद के संपर्क में रहें। आर्मी वर्म पर छिड़काव के लिए जो दवाएं बताई गई हैं उनमें ईस्पिनोडोर, क्लोरोपाईरीफोस, साईपरमेथ्रीन, एमाबेक्टिन, लेमड़ासायलोथ्रीन, बवेरिया बेसीना, ट्राईकोग्रामा मुख्य नाम हैं। सिरोही ने छिंदवाड़ा के अलावा सिवनी,बैतूल,हरदा,होशंगाबाद और मालवा क्षेत्र के इंदौर उज्जैन सहित मक्का बोए जाने वाले इलाकों का दौरा किया है। बताया जाता है कि पूरे प्रदेश में करीब 70 लाख टन मक्का की पैदावार होती है। लगभग 14 हजार करोड़ के मक्के का कारोबार किया जाता है। यह फसल समूचे प्रदेश में लगभग 9 लाख हैक्टेयर रकबे में बोई जाती है। इसमें करीब 3 लाख हैक्टेयर रकबा छिंदवाड़ा और उसके आसपास के इलाकों का है। इसलिए छिंदवाड़ा मक्का शहर के नाम से भी जाना जाता है। भारत का मक्का विदेशों में भी जाता है खासतौर से यूरोपीय देशों में इसका निर्यात किया जाता है। लेकिन इस साल करीब चार लाख टन मक्का आयात करने के लिए संकेत मिले हैं। मक्के से स्ट्रार्च बनाने के साथ खाद्य सामग्री भी तैयार की जाती है। गुजरात इसके उपयोग का बड़ा केन्द्र है। यहां लगे प्लांट इससे बनी सामग्रियों को विदेशों में निर्यात करते हैं। मध्यप्रदेश के बदनावर में भी मक्के से जुड़े कश्यप स्वीटनर में भी स्ट्रार्च तैयार किया जाता है। कुलमिलाकर आर्मी वर्म कीट के हमले के बहाने सरकार के जगने और किसानों को जगाने की कोशिश है।
