रविशंकर बोले- तीन तलाक पीड़ित महिलाओं को इंसाफ दिलाकर रहेंगे

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नई दिल्ली

  • कांग्रेस ने यूपीए के सहयोगी दलों से कहा- तीन तलाक बिल का विरोध करें
  • मोदी सरकार ने 21 जून को तीन तलाक को लेकर नया विधेयक लोकसभा में पेश किया था
  • नए विधेयक ने फरवरी में तीन तलाक को लेकर पेश हुए अध्यादेश का स्थान लिया
  • फरवरी में तीन तलाक विधेयक लोकसभा में पास हो गया था, पर राज्यसभा में अटक गया था

लोकसभा में गुरुवार को तीन तलाक विधेयक पर चर्चा जारी है। कांग्रेस ने यूपीए के सभी सहयोगी दलों से कहा है कि तीन तलाक बिल का विरोध करें। एआईएमआईएम और तृणमूल भी इसके खिलाफ हैं। चर्चा की शुरुआत में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी और कानून लाने के बाद मुझे लगा था कि ये रुक जाएगा। जुलाई तक तीन तलाक के 574 मामले सामने आए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 345 तीन तलाक के मामले सामने आए हैं। अगर दुनिया के 20 से अधिक मुल्कों ने तीन तलाक को नियंत्रित किया। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गलत बताया है। मामूली बातों पर तलाक दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी महिलाएं मुश्किलें झेल रही हैं। मैं उन्हें क्या जवाब देता। ये महिला की गरिमा और सम्मान का मामला है। तीन तलाक मामलों में महिलाओं को न्याय दिलाकर रहेंगे।

तीन तलाक बिल: एसपी सांसद का विवादित बयान, बीवी को गोली मारने से बेहतर तलाक देकर रुखसत करना
नई दिल्ली
तीन तलाक बिल को लेकर लोकसभा में चर्चा शुरू हो गई है। केंद्र सरकार ने तीसरी बार लोकसभा में इस बिल को पेश किया है, यहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इस बीच समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन सदन से बाहर अनर्गल बयान देते हुए कहा है कि बीवी को गोली मारने से बेहतर तीन तलाक देकर रुखसत करना है। उन्होंने कहा, ‘बीवी को गोली मारने से अच्छा है कि उसे तलाक दे दें। किसी भी मजहब के निजी मामले में सरकार को दखल नहीं देना चाहिए। इसे सिर्फ एक फिरका मानता है। एक साथ तीन तलाक को सभी लोग नहीं मानते और एक महीने का गैप रखा जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘कभी-कभी ऐसे हालात होते हैं कि अलग होना ही रास्ता होता है तो गोली मारने से बेहतर है कि तीन तलाक देकर महिला को निकाल दिया जाए। सिर्फ हजरत अबू हनीफा को मानने वाले फिरके के लोग ही एक साथ तीन तलाक लेते हैं। यह लड़की वालों पर ही छोड़ दिया जाए कि अबू हनीफा को मानने वालों के यहां शादी करें या नहीं।’

हिंदू, ईसाई को एक साल, मुस्लिमों को तीन साल सजा क्यों?
मुस्लिम महिलाओं से न्याय के सवाल पर एसटी हसन ने कहा, ‘महिलाओं के साथ इस्लाम ने बहुत न्याय किया है। वह जब चाहें अपने पति से खुला ले सकती हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ में बदलाव करना और शरीयत में बदलाव करना गलत है। यदि आप किसी पुरुष को तीन तलाक पर तीन साल की सजा देते हैं तो फिर वह परिवार को गुजारा भत्ता कैसे देगा। क्या यह गलत नहीं है। यदि हिंदू और ईसाई पुरुषों को ऐसे मामले में महज एक साल की ही सजा है तो फिर मुस्लिमों को तीन वर्ष की सजा क्यों।’

पीडीपी सांसद बोले, मुस्लिम के तौर पर हूं खिलाफ
समाजवादी पार्टी के एसटी हसन की तरह ही पीडीपी के सांसद नजीर अहमद का रुख था। उन्होंने कहा, ‘मैं तीन तलाक बिल को लेकर विरोध में हूं। मैं मुस्लिम के नाते इसके खिलाफ हूं। सरकार को जो करना है करे, लेकिन हमें बर्दाश्त नहीं हैं।’

दहेज उत्पीड़न में 7 साल सजा, फिर सवाल क्यों: बीजेपी सांसद
एसटी हसन समेत कई नेताओं की आपत्तियों को लेकर पूछे गए सवाल पर बीजेपी के राज्यसभा सांसद ने राकेश सिन्हा ने कहा कि यह महिला विरोधी नजरिया है। उन्होंने कहा कि तीन साल सजा को लेकर सवाल उठाने वाले लोगों को यह सोचना चाहिए कि दहेज उत्पीड़न रोकथाम कानून के तहत 7 साल की सजा का प्रावधान है।

कांग्रेस बोली, ट्रंप के बयान से ध्यान भटकाने की कोशिश
तीन तलाक बिल का एक बार फिर से विरोध करने का ऐलान करने वाली कांग्रेस ने कहा कि सरकार ट्रंप के कश्मीर वाले बयान से ध्यान भटकाने के लिए यह मुद्दा लाई है। कांग्रेस का कहना है कि इस पर कानून बनाने से पहले सरकार को मुस्लिम समुदाय से बात करनी चाहिए। कांग्रेस के लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने ट्वीट किया, ‘‘तीन तलाक विधेयक आज लोकसभा में नाटकीय रूप से पेश किया जा सकता है। मोदी द्वारा ट्रंप को कश्मीर में मध्यस्थता के दिए गए आमंत्रण के मुद्दे से भटकाने के लिए? अगर एनडीए/बीजेपी मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखल देने के लिए लालायित हैं तो वह मुस्लिम समुदाय से चर्चा कर 1950 के दशक के हिंदू कोड बिल की तरह कानून क्यों नहीं बनाते?’